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Why US Federal Reserve again increased interest rates drastically | अमरीकी फेडरल रिजर्व ने फिर की ब्याज दरें में भारी बढ़ोतरी, भारतीय शेयर बाजार पर नहीं दिखा बड़ा असर

लगातार चौथी बार बढ़ोतरी, चार बार में 3 प्रतिशत बढ़ाई ब्याज दर बता दें अमरीकी फेडरल रिजर्व बैंक बुधवार को लगातार चौथी बार अपनी बेंचमार्क ब्याज दर को तीन-चौथाई अंक बढ़ाया है। साथ ही बैंक ने यह भी संकेत दिया कि वह आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी को जारी रखेगा। लेकिन फेडरल रिजर्व बैंक के गर्वरनर जेरोम पॉवेल ने इस बात के स्पष्ट संकेत नहीं दिए कि वह जल्द ही अपनी दरों में बढ़ोतरी के आकार को कम कर सकते हैं…हालांकि बाजार इस बात की उम्मीद लगा रहा था।

15 वर्षों की उच्चतम ब्याज दर इस बढ़ोतरी के बाद बैंक ने अपनी प्रमुख अल्पकालिक दर को 3.75% से 4% की सीमा तक बढ़ा दिया, जो कि 15 वर्षों में इसका उच्चतम स्तर है। ये बढ़ोतरी कब तक होगी, इसके बार में पॉवेल ने कहा कि उनका लक्ष्य महंगाई दर को 2 प्रतिशत पर लाना है। गौरतलब है कि फिलहाल अमरीका में महंगाई दर करीब 8.2 प्रतिशत है, जो कि काफी अधिक है…जानकारों का कहना है कि इस तरह से बैंक अगर ब्याज दरें बढ़ाता रहा तो इनका करीब 5 प्रतिशत के ऊपर जाना तय है। यानी टर्मिनल ब्याज दर अमरीकी रिजर्व बैंक के लिए अब 5 प्रतिशत के ऊपर हो सकती है।

28dc-fed-mediumsquareat3x.jpgमंदी का जोखिम गहराया फेडरल बैंक की मौजूदा बढ़ोतरी इस साल केंद्रीय बैंक की छठी वृद्धि है। इस बढ़ोतरी के बाद यूएस फेडरल रिजर्व ने सर्वसम्मति बेंचमार्क फेडरल फंड्स रेट के लक्ष्य को 3.75% से 4% की सीमा तक बढ़ा दिया। यह वर्ष 2008 के बाद से इसका उच्चतम स्तर है। इसने अन्य उपभोक्ता और व्यावसायिक ऋणों को तेजी से महंगा बनाया है और मंदी के जोखिम को बढ़ा दिया है।

व्हाइट हाउस ने क्या कहा? व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि फेड के अपने बेंचमार्क ब्याज दर को बढ़ाने के इस कदम से मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी। एक बयान में फेड ने कहा कि आने वाले महीनों में वह अर्थव्यवस्था पर अपनी बड़ी हुई दरों में बढ़ोतरी के प्रभाव पर विचार करेगा। इससे संकेत मिलता है कि फेड के नीति निर्माताओं को लगता है कि अर्थव्यवस्था को धीमा करने और मुद्रास्फीति को कम करने के लिए उधार लेने की लागत काफी अधिक हो रही है और इस पर नए सिरे से विचार की जरूरत है। सरकार ने बताया है कि इकॉनमी में रिकवरी के संकेत हैं। अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में बढ़ी है। नियोक्ता अभी भी लोगों को काम पर रख रहे हैं। होम लोन बाजार चरमरा गया है और उपभोक्ता मुश्किल से अपना खर्च बढ़ा रहे हैं।

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