Rajasthan

The small shop built under the holi window is famous for spicy mangoes the mangoes made here are the first choice of the people of karauli

रिपोर्ट – मोहित शर्मा

करौली. वैसे तो खाने-पीने के शौकीनों के लिए करौली का हर कोना किसी न किसी चीज के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन होली खिड़कियां के नीचे एक छोटी सी मंगोड़े की दुकान की बात की जाए तो इस दुकान पर करीब 52 सालों से खस्ता और मसालेदार मंगोड़े बनते आ रहे हैं और आज भी होली खिड़कियां की इस दुकान पर चोरा की दाल से बनाए गए चटपटे मंगोड़े का स्वाद बरकरार है.

करौली में अगर मंगोड़े की बात की जाए तो मंगोड़े तो आपको शहर के हर चौराहे और अधिकतर ठेलो पर मिल जाएंगे. लेकिन सबसे खास मंगोडो की बात की जाए तो यह मंगोड़े तो आपको कैलाश हलवाई के पास ही मिल पाएंगे. जो अपने स्वाद के लिए पूरी करौली में प्रसिद्ध है.होली खिड़कियां पर कढ़ाई में खोलते हुए तेल में हाथ डालकर बनाए जाने वाले यह मंगोड़े धीमी धीमी तेल की सुगंध से ही यहां से निकलने वाले लोगों को अपनी और आकर्षित कर लेते हैं.

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हर उम्र के लोग सहित आला अधिकारी तक दीवाने 

खास बात यह है कि कैलाश मंगोड़े वाले के यह मंगोडे अपने बेहतरीन स्वाद के कारण करौली में हर उम्र के लोगों की पसंद बने हुए हैं. और आम लोगों सहित करौली के एसडीएम, कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट तक होली खिड़कियां पर बनने वाले यह मंगोडे जाते हैं.

कैलाश हलवाई का कहना है कि कई उच्च अधिकारी तो ऐसे हैं जो उन्हें घर पर भी मंगोड़ा और पकौड़ी बनाने के लिए अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बुलाते हैं.

आइए जानते हैं क्या खास है इस मंगोड़े में

मंगोड़ा लेने आए भंवर सिंह प्रजापत ने बताया कि हम बचपन से ही यहां के मंगोड़े खाते हुए आ रहे हैं. क्योंकि यह मंगोड़े बिल्कुल शुद्ध तरीके से बनाए जाते हैं. और अगर स्वाद की बात की जाए तो होली खिड़कियां पर बनने वाले यह मंगोड़े पूरी करौली में प्रसिद्ध है. इन मंगोडो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि चोरा की दाल से बने इन मसालेदार मंगोडो में साबुत गरम मसाला डाला जाता है. और रिफाइंड तेल की बजाए यह मंगोड़े सरसों के तेल में बनाए जाते हैं. सर्दियों के दिन में तो इन मंगोडो की खास डिमांड रहने के कई घंटों तक खड़ा रहना पड़ता है. तब जाकर यह मंगोडे मिल पाते हैं. करौली में मंगोड़े का उपयोग घरों में सब्जी बनाने के लिए भी बहुत होता है.

जानिए कैसे तैयार होते हैं यह मंगोड़े 

मंगोड़े बनाने वाले कैलाश हलवाई ने बताया कि हमारी यह दुकान 52 साल से भी पुरानी है. पहले हमारे पिताजी दाल के मंगोड़े बनाते थे. और अब मैं बना रहा हूं. कैलाश के अनुसार उन्हें भी मंगोड़े बनाते हुए करीब 40 से 45 साल हो गए हैं. शुरुआती दौर में यह मंगोड़े ₹5 किलो बिकते थे. वही मंगोड़े आज बढ़ती महंगाई के कारण ₹200 किलो पहुंच गए हैं.

इन मंगोड़े को बनाने के लिए 3 घंटे पहले चोरा की दाल भिगोई जाती है. दाल भीग जाने के बाद उसकी पिसाई की जाती है. पहले यह पिसाई सिलबट्टा से होती थी. लेकिन अब मशीन के द्वारा यह दाल पीसी जाती है. दाल पूरी तरह पीसने के बाद उसमें खास मसाले डाले जाते हैं. फिर मसाले को मिलाकर कढ़ाई के गर्म तेल में हाथ से मंगोड़ा बनाए जाते हैं.

मंगोड़ा व्यापारी कैलाश कुमार गुप्ता ने बताया कि होली खिड़कियां पर स्थित उनकी दुकान पर शाम को 4:00 बजे से लेकर रात के 9:00 बजे तक गर्म गर्म मंगोड़ा बनाए जाते हैं. मंगोड़ा व्यापारी का कहना है कि चार-पांच घंटे में जितने मंगोडे बनते हैं उससे ज्यादा खपत होती है.

अगर आप भी इन खस्ता और मसालेदार मंगोडो का आनंद लेना चाहते हैं, तो ये है पता 

कैलाश मंगोड़े वाले
सीताराम जी के मंदिर के पास होली खिड़कियां करौली
संपर्क : 7737982155

Tags: Karauli news, Rajasthan news

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