Retired teacher serving people by building old age home after retirement
पाली. कहते हैं इंसान ठान ले तो कुछ भी करना संभव है. ऐसा ही कुछ मारवाड़ जंक्शन उपखंड की उषा सापेला ने कर दिखाया है. गरीब किसान परिवार में जन्मीं उषा की गरीबी के चलते पांचवीं क्लास के बाद बीच में ही स्कूल छूट गयी थी, लेकिन इसके बाद भी उषा ने अध्ययन बंद नहीं किया और पापा से लड़कर प्राइवेट से दसवीं पास की. इसके बाद उषा का विवाह हो गया मगर उन्होंने अपनी पढ़ाई लगातार जारी रखी और साल 1985 में अध्यापिका बन गईं.
अध्यापिका बनने के कुछ वर्षों बाद पति की हादसे में मौत हो गयी और इस तरह उन्होंने भी साथ छोड़ दिया. एक बार फिर उषा के जीवन में संघर्ष शुरू हो गया और सास ससुर व दो बच्चों की जिम्मेदारी उन पर आ गयी. अध्यापिका रहते सास ससुर की सेवा के साथ दोनों बेटों को जीवन मे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही और अब दोनों ही बेटे राजकीय सेवा में कार्यरत है. बड़ा बेटा घनश्याम सापेला प्रधानाचार्य है, तो वहीं छोटा बेटा दिनेश सापेला बांसवाड़ा में अतिरिक्त जिला कलेक्टर के पद पर कार्यरत है.
रिटायरमेंट के बाद चला रही वृद्धा आश्रम
आपके शहर से (पाली)
उषा स्वंय अब रिटायरमेंट के बाद वृद्धा आश्रम चला रही है. ऊषा ने बताया कि, राजकीय सेवा के दौरान कई ऐसे बुजुर्ग मिले जिनकी परेशानी देख वृद्धा आश्रम बनाने की ठान ली थी, लेकिन बच्चों की पढ़ाई व कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते संभव नही हो सका. साल 2015 में सेवानिवृत्त होने के बाद उषा पेंशन के पैसों तथा पुश्तैनी जमीन को बेचकर वृद्धा आश्रम बनाकर लोगों की सेवा में जुट गई. अभी तक 35 से अधिक वृद्ध जन इस वृद्धा आश्रम में रह चुके है और वर्तमान समय में आधा दर्जन वृद्ध निवास करते है जिनकी सेवा स्वंय ऊषा करती है. उन्होंने बताया कि, इन बुजुर्गों की सेवा से उन्हें खुशी तो मिलती ही है साथ ही इन वृद्ध जनों के आशीर्वाद से ही उनके पुत्र भी अच्छे पदों पर आशिन है.
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Tags: Rajasthan news, Social Welfare
FIRST PUBLISHED : March 01, 2023, 10:51 IST