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‘एक बच्चा समझ गया वो बात जो राजनेता नहीं समझते’, जाते-जाते CJI बीआर गवई ने किस मुद्दे पर सुना दिया

Last Updated:November 21, 2025, 23:56 IST

CJI BR Gavai Retirement Speech: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने विदाई भाषण में SC/ST आरक्षण में उप-वर्गीकरण का बचाव करते हुए कहा कि समानता का मतलब सभी को बराबर नहीं बल्कि पिछड़े वर्गों को विशेष अवसर देना है. उन्होंने बुलडोजर एक्‍शन के खिलाफ कदम को इस दौरान याद किया. साथ ही कहा कि वो रिटायरमेंट के बाद आदिवासियों के लिए काम करने की योजना बना रहे हैं.‘बच्चा समझ गया जो राजनेता नहीं समझते’, जाते-जाते CJI ने किस मुद्दे पर सुनायासीजेआई गवई आज रिटायर हो गए हैं. नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस बीआर गवई ने शुक्रवार को अपने आखिरी वर्किंग-डे पर कहा कि “एक मजदूर का बेटा और एक अधिकारी का बेटा एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते.” यह बयान उन्होंने SC/ST आरक्षण में उप-वर्गीकरण यानी सब क्‍लासिफिकेशन के अपने फैसले का बचाव करते हुए दिया. चीफ जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के दूसरे दलित प्रमुख न्यायाधीश हैं. उन्‍होंने कहा कि भले ही उनके अपने समुदाय से उन्हें कड़ी आलोचना मिली हो, फिर भी वे इस फैसले पर कायम हैं. अगस्त 2024 में आए सात-सदस्यीय संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट किया गया था कि अनुसूचित जातियां एक सामाजिक रूप से समरूप वर्ग नहीं हैं और राज्य उनके बीच उप-वर्गीकरण कर सकते हैं ताकि कम लाभान्वित लोगों को आरक्षण मिल सके.

‘बच्‍चा समझ गया जो राजनेता नहीं समझते’चीफ जस्टिस गवई ने अपने भाषण में याद किया कि जब वे यह फैसला लिख रहे थे तब महाराष्ट्र के एक क्लर्क के बेटे ने उनसे कहा कि वह SC श्रेणी का लाभ नहीं लेगा क्योंकि वह पहले ही आर्थिक और सामाजिक रूप से पर्याप्त लाभान्वित है. जस्टिस गवई ने कहा, “एक बच्चा समझ गया वह बात जो राजनेता नहीं समझते.” उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 14 और डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा कि समानता का मतलब सभी को समान व्यवहार देना नहीं है. यदि हम सभी को समान रूप से व्यवहार देंगे, तो यह असमानता को बढ़ाएगा, इसलिए विशेष रूप से पीछे रह गए वर्गों को विशेष अवसर दिए जाने चाहिए.

बुल्‍डोजर एक्‍शन के खिलाफ कदमइसके अलावा, चीफ जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि वे अपने फैसले से संतुष्ट हैं क्योंकि उन्होंने “बुलडोजर न्याय” के खिलाफ निर्णय दिया. उनका कहना था कि कानून के साथ संघर्ष में किसी का आश्रय या अधिकार छीना नहीं जा सकता. उन्होंने न्याय और संवैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया. सेवानिवृत्ति के बाद अपने योजनाओं के बारे में उन्होंने कहा कि वे अपने जिले के आदिवासियों के लिए काम करना चाहते हैं और उन्हें उनके अधिकार और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में मदद करना चाहते हैं. इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में उनके विचारों को वकीलों और न्यायाधीशों ने सराहा.

केवल नियमों का पालन नहीं…चीफ जस्टिस गवई का यह दृष्टिकोण न केवल कानून के निष्पक्ष और संवेदनशील उपयोग को दर्शाता है बल्कि समाज में वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है. उनका मानना है कि न्याय केवल नियमों के पालन में नहीं, बल्कि सामाजिक असमानताओं को समझने और उन्हें दूर करने में निहित है.

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November 21, 2025, 23:53 IST

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