Rajasthan

A coincidence is happening after 100 years, a coincidence is happening in the Mahabharata period of Dwapar era, know that all auspicious works will be prohibited from 23rd June to 5th July.

जोधपुर. सैकड़ों वर्षों बाद 2024 का आने वाला आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष देश और दुनिया के लिए संकट का कारण बनने वाला है. 23 जून से 21 जुलाई तक आषाढ़ मास के दौरान कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि और चतुर्थी तिथि के क्षय होने से यह पक्ष 13 दिनों की होगी और यह काल दुर्योग काल के रूप में होगा. यह संयोग शुभ नहीं माना जाता है. लिहाजा दुर्योग काल के 13 दिनों तक शुभ काम या कोई भी मांगलिक काम नहीं करना चाहिए.

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भारतीय पंचांग में हर पक्ष 15 दिन का होता है. लेकिन आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में 15 के बजाय 13 दिन ही रहेंगे. इसे भारतीय शास्त्रों में विश्व घस्र पक्ष नाम दिया गया है. इन 13 दिनों को अशुभ माना जाता है. इस बार यह पक्ष 23 जून से शुरू होकर 5 जुलाई तक रहेगा.इस दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे.

हालांकि, बहुत जरूरी होने पर शुभ दिन और तिथि देखकर काम किया जा सकता है. द्वापर युग के महाभारत काल का संयोग एक बार फिर बन रहा है.इसके कारण आषाढ़ कृष्ण पक्ष सिर्फ 13 दिन का होगा. महाभारत के पहले 13 दिन का पक्ष निर्मित हुआ था. ज्योतिष शास्त्र में इसे दुर्योग काल माना जा रहा है. महाभारत काल का संयोग बनने के कारण प्रजा को नुकसान, रोग संक्रमण, महंगाई, प्राकृतिक आपदा, लड़ाई झगड़ा, विवाद बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

हो सकती है बड़ी जन-धन की हानिपक्षस्य मध्ये द्वितिथि पतेतां यदा भवेद्रौरव काल योगः. पक्षे विनष्टं सकलं विनष्ट मित्याहुराचार्यवराः समस्ताः.एकपक्षे यदा यान्ति तिथियश्च त्रयोदश। त्रयस्तत्र क्षयं यान्ति वाजिनो मनुजा गज:त्रयोदश दिने पक्षे तदा संहरेत जगत्। अपि वर्षे सहस्रेण कालयोग प्रकीर्तित:द्वितियामारभ्य चतुर्दश्यन्तं तिथिद्वये ह्रासे। त्रयोदश दिनात्मक: पक्षोऽति दोषोवतो भवति.

 महाभारत काल का संयोगभविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि द्वापर युग के महाभारत काल में युद्ध के दौरान 13 दिन के पक्ष में यह दुर्योग काल निर्मित हुआ था. उस काल में भारी जनहानि और प्राकृतिक आपदा की घटनाएं घटी थी. कौरव पांडवों के बीच भीषण युद्ध के दौरान अपार जनहानि हुई थी.

इस काल में भी प्राकृतिक प्रकोप बढ़ने की आशंका व्यक्त किया जा रहा है. हिन्दू पंचांग के अनुसार संवत 2081 में आषाढ़ मास 23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा. इस दौरान कृष्ण पक्ष में द्वितीया और चतुर्थी तिथि का क्षय होगा. यही वजह है कि 23 जून से 5 जुलाई तक आषाढ़ की कृष्ण पक्ष समाप्त हो जायेगा. इस तरह कृष्ण पक्ष 15 दिनों के बजाय 13 दिनों का होगा.

13 दिन का पखवाड़ा और प्रमुख घटनाएं पंचांगों में स्पष्ट वर्णन मिलता है कि महाभारत सहित कई बड़े युद्ध ऐसे ही 13 दिन के पखवाड़े के संयोग में हुए हैं।1934 में ऐसा ही संयोग में विनाशकारी भूकंप आया था तब बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ था.1962 में ऐसा संयोग हुआ तब भारत चीन युद्ध हुआ था. ज्योतिष का आकलन है कि तब भी 13 दिन का पखवाड़ा था.1999 में जब 13 दिन के पक्ष का संयोग बना तब कारगिल युद्ध हुआ था. 1979 व 2005 में भी अप्रिय घटनाएं हुई थी.

भूलकर भी ना करें ऐसे कामडा. अनीष व्यास ने बताया कि यह मान्यता है कि महाभारत काल का ये दुर्योग काल शुभ नहीं है. इस काल में विनाश, आपदा और आपातकालीन जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है.कलयुग में यह काल इस बार 100 साल के बाद फिर से बन रहा है. इस काल में लोगों को भूलकर भी कोई मांगलिक कार्य जैसे कि शादी, विवाह, गृह प्रवेश, निवेश या कीमती चीजों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि संहिता ग्रन्थों में इसके अशुभ फल बताए गए है :-त्रयोदशदिने पक्षे तदा संहरते जगत् .अपि वर्षसहस्रेण कालयोगः प्रकीर्तितः ।। पीयूषधारा 1/48

शुक्ले पक्षे सम्प्रवृद्धे प्रवृद्धि ब्रह्मक्षत्रं याति वृद्धि प्रजाश्च।हीने हानिस्तुल्यता तुल्यतानां कृष्णे सर्वं तत्फलं व्यत्ययेन ।। बृहत्संहिता 4/31

ज्योतिर्निबन्ध में इस दोष को ‘रौरवकालयोग’ कहा गया है:-पक्षस्य मध्ये द्वितिथि पतेतां तदा भवेद्रौरवकालयोगः ।पक्षे विनष्टे सकलं विनष्टमित्याहुराचार्यवराः समस्ताः ।। ज्योतिर्निबन्ध, 84/7

तेरह दिन के पक्ष का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत में मिलता है। महाभारत युद्ध के समय तेरह दिन का पक्ष था :-चतुर्दशीं पञ्चदशीं भूतपूर्वा षोडशीम् .इमां तु नाभिजानेऽहममावस्यां त्रयोदशीम् ।। महाभारत, भीष्मपर्व, जम्बूखण्डनिर्माण पर्व, 3-32

Tags: Dharma Aastha, Local18

FIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 11:00 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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