दत्ताणी में हुआ था हल्दी घाटी जैसा भीषण युद्ध, अकबर की सेना को झेलनी पड़ी थी हार, आज भी बनी हुई है वीर सेनापति की छत्तरी

Last Updated:October 19, 2025, 18:35 IST
17 अक्टूबर 1583 को दत्ताणी गांव में सिरोही और मुगल सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ. महाराव सुरतान देवड़ा की सेना ने अकबर की सेना को करारी शिकस्त दी. इस ऐतिहासिक विजय दिवस को आज भी सिरोही में याद किया जाता है. सेनापति समरसिंह डूंगरावत की वीरता के प्रतीक छतरी और पार्क नई पीढ़ी के लिए गौरवशाली इतिहास संजोते हैं.
इतिहासकार और इतिहास संकलन समिति के प्रांत उपाध्यक्ष डॉ. उदयसिंह डिंगार ने बताया कि 17 अक्टूबर 1583 ईस्वी को जिले के रेवदर तहसील के दत्ताणी गांव में मुगल बादशाह अकबर की सेना और सिरोही के शासक महाराव सुरतान देवड़ा की सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ था.
इस युद्ध में मुगल बादशाह सेना को पराजित कर सिरोही की सेना ने छक्के छुड़ा दिए थे. तब से यहां सिरोही राज्य के ऐतिहासिक विजय दिवस के रूप मनाया जा रहा है. महाराव सुरतान देवड़ा ने महाराणा प्रताप एवं राव चंद्रसेन की सहायता कर भारत को मुगल शासकों से बचाने में अहम भूमिका निभाई थी.
महाराव सुरताण देवड़ा अपने 51 वर्ष के जीवन काल में 52 युद्ध में विजय हासिल की थी. मुगल शासक अकबर ने मुगल सेनापति के रूप में रायसिंह मारवाड़ और जगमाल के नेतृत्व में मुगल सेना को सिरोही पर आक्रमण करने का आदेश दिए थे.
यहां हुए युद्ध में मुगल सेना को करारी हार झेलनी पड़ी थी. इस युद्ध में मुगल सेना के सेनापति रायसिंह मारवाड़, राणा जगमाल समेत कई योद्धा मारे गए थे. वहीं सिरोही राज्य के सेनापति समरसिंह डूंगरावत समेत कई योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे.
महाराव सुरतान देवड़ा के सेनापति समरसिंह डूंगरावत की वीरता को देखते हुए इनकी छतरी आज भी दत्ताणी गांव में बनी हुई है. एक वर्ष में छतरी का जीर्णोद्धार और महाराव सुरताण देवड़ा की स्मृति में यहां पार्क स्थापित किया गया है.
डॉ. डिंगार ने बताया कि इस युद्ध को इतिहास के पन्नों में उचित जगह नहीं मिल सकी है. आज दत्तानी के युद्ध स्थल पर पैनोरमा बनाकर इस शौर्य की गाथा को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संजोने की जरूरत है, ताकि नई पीढ़ी भी यहां के गौरवशाली इतिहास को जान सके.
First Published :
October 19, 2025, 18:35 IST
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सिरोही के दत्ताणी युद्ध में महाराव सुरतान देवड़ा की अकबर पर ऐतिहासिक विजय