World

‘पाताल लोक’ में समा रही जर्मनी से भी बड़ी झील, 5 देशों की जान पर आफत… वैज्ञानिकों ने भी पकड़ा माथा

Caspian Sea: कैस्पियन सागर की दुनिया का सबसे बड़े खारे पानी का झील माना जाता है. 4 लाख स्क्वायर मील यानी कि 10 लाख स्क्वायर किलोमीटर में फैले झील को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा है. इस झील का आकार यूरोपीय देश जर्मनी से भी बड़ा है. इस झील पर कजाकिस्तान, ईरान, अजरबैजान, रूस और तुर्कमेनिस्तान जैसे देश निर्भर हैं. इसके लगातार सिकुड़ने से एक बहुत बड़ी आबादी पर खतरा पैदा हो सकता है. जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मानवीय प्रभाव और इस झील के साख को लेकर वैज्ञानिक काफी चिंतिंत हैं.

इसके किनारे बसे देश नागरिक मछली पकड़ने, खेती, पर्यटन और पीने के पानी के साथ-साथ इसके तेल और गैस भंडार के लिए इस पर निर्भर हैं. साथ ही कैस्पियन सागर इन इलाकों में शुष्क जलवायु को नियंत्रित करने में भी मदद करता है. इसके वजह से मध्य एशिया में बारिश होती है और जलवायु में नही रहती है. लेकिन, घटते जलस्तर से वैज्ञानिक चिंतिंत हैं.

सिकुड़ रहा कैस्पियन सागरजहां जलवायु परिवर्तन से पिघलते ग्लेशियर्स से दुनिया के सभी समंदर के जल स्तर बढ़ रहे हैं. लेकिन, यह लैंड लॉक्ड (भू-आबद्ध) समंदर और झीलों के लिए के खतरा बना हुआ है. ये झील बारिश और नदी के पानी पर निर्भर रहते हैं. हालांकि बांध, अत्यधिक जल और मिनरल जल निकासी, प्रदूषण और तेजी से मानव-जनित जलवायु संकट से यह सिकुड़ रहा है.


कैस्पियन सागर की 2006 (बायें) और फिर 2022 (दायें) की तस्वीर नासा द्वारा ली गई.

धीरे-धीरे लुप्त हो सकता हैवैज्ञानिकों को डर सता रहा है कि हालात ऐसे ही रहे तो कैस्पियन सागर ऐसी स्थिति पर पहुंच जाएगा जहां से वापस लौटना यानी कि उसे फिर से उसी रूप में काफी मुश्किल हो जाएगा. उनका काफी हद तक ठीक भी है. क्योंकि, कजाकिस्तान और उजबेकिस्तान के बीच फैला अरल सागर कभी दुनिया का सबसे बड़ा झील हुआ करता था. लेकिन, उसमें बढ़ते मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन से यह धीरे-धीरे लुप्त होता गया. यहीं स्थिति कैस्पियन में भी है. इसमें गिरने वाली नदियों पर बांध और तेल रिफायनरी से कच्चे तेल की निकासी इसके लिए काल बनता जा रहा है.

Tags: Climate Change

FIRST PUBLISHED : October 25, 2024, 08:37 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj