Rajasthan

एक अनोखा किला…जिसमे नंदी बदलते हैं 3 तरह के रंग, कभी हुआ करता था राजा का आशियाना

माउंट आबू: राजस्थान के माउंट आबू में एक किला है. इस किले का नाम है अचलगढ़ किला. अरावली की पहाड़ियों पर यह किला बना है. किले की बनावट दुश्मनों के वार को ध्यान में रख कर बनाई गई है. वास्तुकला के साथ यहां एक मंदिर भी देखने के लिए मिलता है. इस किले से जुड़ी कई रहस्यमयी कहानियां सुनाई जाती हैं.

अचलगढ़ किले का इतिहासऐतिहासिक और धार्मिक कारणों से अचलगढ़ किला बहुत खास है. परमार वंश के राजाओं ने इसे बनवाया था, लेकिन 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के प्रसिद्ध राजा महाराणा कुम्भा ने इसे दोबारा बनवाया था. महाराणा ने साम्राज्य की सुरक्षा के लिए इस किले को बनवाया था. किले की ऊंचाई और मजबूत बनावट दुश्मनों के हमलों से बचाती थी. इस भव्य किले की ऊंची दीवारें, विशाल बुर्ज, सभा मंडप और सुंदर दरवाजे राजपूत कला और संस्कृति का प्रतीक हैं.

किले में बने हैं 2 तरह के मंडपअचलगढ़ किले में 2 तरह के मंडप हैं. पहला सभा मंडप था, जहां राजा और उनके दरबारियों के लिए बैठक आयोजित होती थी. इस मंडप को नक्काशी और राजपूत स्थापत्य कला से बनाया गया है. वहीं, पूजा मंडप धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ के लिए बनाए गए थे. इन मंडपों में पूजा-पाठ हुआ करते थे.

किले में मौजूद रहस्यमयी मंदिरइस किले के अंदर एक मंदिर बना है, जिसका नाम अचलेश्वर महादेव मंदिर है. इस अनोखे मंदिर में शिवलिंग की जगह भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है. यहां एक नंदी बैल की भी मूर्ति स्थित है, जो पांच धातुओं से बनी है. महाशिवरात्रि जैसे मौकों पर इस मंदिर में भक्तों की लंबी भीड़ लगती है. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर में लगी नंदी की मूर्ति 3 तरह के रंग बदलती है.

मंदाकिनी झील कैसे है खासअचलगढ़ किले में मंदाकिनी झील को पवित्र जलाशय माना जाता था. इस झील के पानी औषधीय गुणों से भरपूर होता था. इस झील से कई कहानियां जुड़ी हैं. कई वर्षों पूर्व ये झील घी से भरी हुआ करती थी. कहा जाता है कि यहां से ऋषि-मुनि घी लेकर यज्ञ किया करते थे.

क्या आज भी छिपा है खजाना?अचलगढ़ किले का नाम आते ही लोग गुफाओं और खजानों की बातें करते हैं. किले के अंदर की खुफिया गुफाओं की कई कहानियां सुनाई जाती है. आसपास के लोगों का कहना है कि इन्हीं गुफाओं में खजाना भी छिपा है. इन गुफाओं पर कुछ निशान बने हैं, जिन्हें देख लोग खजाने का अंदाजा लगाते हैं.

कभी हुआ करता था सेना का ठिकानायह किला हवेलीनुमा तरीके से बना हुआ था. किले के चारों ओर गुम्बद बने हुए थे. एक समय पर युद्ध के दौरान यह किला सेना का ठिकाना होता था. किले तक पहुंचने के पक्के रास्ते नहीं थे. पत्थर के और जंगल के रास्ते से किले कि चोटी तक पहुंच जाता था. महाराणा ने भी सुरक्षा के उद्देश्य से ही इसे बनवाया था. हालांकि अब समय के साथ देखरेख के अभाव में किले के ऊपरी हिस्से में केवल कुछ खंडहर दीवारे बची हैं.

आज भी बंद है किले का कुछ हिस्साअचलगढ़ किले के अंदर के कुछ हिस्सों को सार्वजनिक दर्शन के लिए खोला जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं है. किले की कुछ जगहों को देखा जा सकता है. लेकिन सारी गुम्बद और गुफाएं लोगों के लिए नहीं खुली हैं. किले को अच्छे से जानने के लिए आप गाइड की मदद भी ले सकते हैं. यह किला सुबह 5 बजे से शाम के 7 बजे तक खुला रहता है. रात में आप किले तक नहीं जा सकते हैं.

राजा भृतहरि का किलापहाड़ी की तलहटी पर मंदाकिनी झील के किनारे पर राजा भृतहरि का किला बना हुआ है. राजा भरत महाराजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र है. इस किले का अधिकांश भाग खंडहर हो चुका है. अचलगढ़ किले के पास गोपीचंद गुफा है, जहां गोपीचंद ने कई वर्षों तक तपस्या की थी.

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FIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 13:07 IST

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