Rajasthan

श्रीकृष्ण के जन्म के बाद निभाई जाती है अनोखी परंपरा, 471 वर्ष पुराने इस मंदिर में दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

भीलवाड़ा जिले के दूधाधारी मंदिर में कृष्ण जन्म को लेकर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. ये परंपरा 471 वर्ष पुराने मंदिर में निभाई जाती है. जिसमें भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में नंद महोत्सव का आयोजन किया जाता है. यह परंपरा पिछले 49 वर्षों से इस मंदिर में निभाई जा रही है. इस महोत्सव के दौरान दही हांडी लीला, बधाई गान, और मलखम्भ लीला का आयोजन होता है. जिसमें भीलवाड़ा और आसपास के जिलों से लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं.

471 वर्ष पुराने श्री दूधाधारी मंदिर को निंबार्क संप्रदाय द्वारा स्थापित किया गया था. इस मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन दूसरे दिन परंपरा अनुसार मनाया जाता है और तीसरे दिन नंद महोत्सव मनाया जाता है.

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नंद महोत्सव का आयोजन भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में किया जाता है. इस अवसर पर दही हांडी लीला, बधाई गान और मलखम्भ लीला का आयोजन होता है, जिसे देखने के लिए भक्त पूरे साल इंतजार करते हैं.

मंदिर की वास्तुकला और विशेषता

भीलवाड़ा के सांगानेरी गेट पर स्थित श्री दूधाधारी मंदिर वृंदावन के प्रेम मंदिर की तर्ज पर बना हुआ है. यहाँ पर जन्माष्टमी भी एक दिन बाद मनाई जाती है और उसी क्रम में नंद महोत्सव का आयोजन होता है. मंदिर की वास्तुकला और आयोजन शैली वृंदावन की तर्ज पर होती है, जिससे यह मंदिर और भी खास बन जाता है.

नंद महोत्सव और मलखम्भ लीला

भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद, नंद बाबा के यहां खुशी का माहौल छा गया था और इसी भाव को जीवित रखने के लिए श्री दूधाधारी मंदिर में नंद महोत्सव मनाया जाता है. इस महोत्सव में मलखम्भ प्रतियोगिता का आयोजन भी होता है.

इस प्रतियोगिता में ग्वाले रूप में युवा मलखम्भ पर चढ़ने का प्रयास करते हैं. जहां 25 फीट ऊंचे मलखम्भ पर मुल्तानी मिट्टी और तेल लगाया जाता है. प्रतियोगिता के दौरान पानी की बौछार के बीच सिक्के, मेवा और अन्य सामग्री लूटने की लीला भी की जाती है. अब यह आयोजन केवल धार्मिक उत्सव ना रहकर भीलवाड़ा के लोगों के लिए एक सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है.

श्री दूधाधारी मंदिर में आयोजित नंद महोत्सव और मलखम्भ लीला भीलवाड़ा और आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है. इस महोत्सव का भव्य आयोजन और भक्तों की अपार श्रद्धा इसे और भी खास बनाती है.

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Tags: Dharma Aastha, Local18

FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 09:55 IST

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