गुर्जर समाज द्वारा दिवाली के मौके पर निभाई जाती है अनूठी परंपरा, पारंपरिक घाट पूजन कर पूर्वजों को करते है याद

Last Updated:October 21, 2025, 20:33 IST
भीलवाड़ा जिले के मांडल क्षेत्र में गुर्जर समाज दीपावली के दिन सदियों पुरानी परंपरा के तहत घाट पूजन करता है. यह पूजन पूर्वजों की आत्मा की शांति और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए सामूहिक रूप से किया जाता है. समाजजन पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पितरों को धूप अर्पित करते हैं और औषधीय पौधों से बनी बेल माला चढ़ाकर पूजन करते हैं. मान्यता है कि पितरों की प्रसन्नता से घर-परिवार में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
भीलवाड़ा. जहां पूर्वजों का सम्मान होता है, वहां सुख-समृद्धि अपने आप आती है. यह कहावत भीलवाड़ा का गुर्जर समाज एकदम चरितार्थ करता है दीपावली के अवसर पर जिले के मांडल क्षेत्र में गुर्जर समाज द्वारा सदियों पुरानी परंपरा के रूप में पारंपरिक घाट पूजन का आयोजन किया गया. यह विशेष पूजन पितरों की स्मृति और उनकी आत्मा की शांति के लिए किया जाता है. गुर्जर समाज की यह अनोखी और धार्मिक मान्यता पीढ़ियों से चली आ रही है, जो आज भी पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ निभाई जाती है.
हर वर्ष दीपावली के दिन मांडल क्षेत्र के गुर्जर समाज के लोग सामूहिक रूप से घाट पर एकत्रित होकर अपने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. पूजन की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ होती है, जिसमें सबसे पहले पितरों को धूप अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद समाजजन मिलकर खाखरा, ककड़ी और आंधीजड़ा जैसे औषधीय पौधों की बेल माला तैयार करते हैं. यह माला पवित्रता और आरोग्यता का प्रतीक मानी जाती है. इसी माला को घाट पर स्थापित कर सामूहिक रूप से पूजन संपन्न किया जाता है.
विश्वास है कि जब पूर्वजों की आत्मा प्रसन्न होती है
भीलवाड़ा जिले के मांडल निवासी दिनेश गुर्जर ने कहा कि यह पूजन केवल पितरों की आत्मा की शांति के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि यह समाज और परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और कल्याण का प्रतीक भी है. उनका विश्वास है कि जब पूर्वजों की आत्मा प्रसन्न होती है, तो घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का संचार होता है. साथ ही यह पूजन मौसमी बीमारियों से बचाव और कष्टों के निवारण के लिए भी किया जाता है. गुर्जर समाज की यह परंपरा अन्य समुदायों से अलग और विशिष्ट है.
अधिकांश समुदाय जहां पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं, वहीं गुर्जर समाज दीपावली के शुभ अवसर पर ही पितरों की पूजा करता है. उनका मानना है कि दीपावली के दिन पितरों की पूजा कर उनका आशीर्वाद लेने से आने वाला वर्ष शुभ और मंगलकारी बनता है. यह परंपरा समाज में एकता, अपनापन और पारिवारिक मूल्यों की भावना को भी मजबूत करती है. पूजन के बाद घाट पर मौजूद सभी समाजजन एक साथ बैठकर सामूहिक भोजन (भोज) करते हैं. यह भोजन केवल खान-पान का कार्यक्रम नहीं, बल्कि एकता और समानता का प्रतीक है. बड़े-बुजुर्गों से लेकर छोटे बच्चों तक सभी एक ही स्थान पर बैठकर भोजन करते हैं, जिससे समाज में एकजुटता और भाईचारे की भावना और अधिक प्रगाढ़ होती है.
Monali Paul
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
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Location :
Bhilwara,Rajasthan
First Published :
October 21, 2025, 20:33 IST
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जानिए भीलवाड़ा में गुर्जर समाज की दीपावली पर घाट पूजन परंपरा और महत्व



