होली के लिए खरीदना चाह रहे हैं डिजाइनर साड़ियां, पाली के इस मार्केट में पहुंच जाएं, हर रेंज में है उपलब्ध

Last Updated:February 27, 2025, 14:20 IST
Pali Holi Cloth Sale Market: फाल्गुन मास की शुरूआत होते ही बाजार में भी चहल-पहल बढ़ गई है. खासकर महिलाएं साड़ियां खरीदने के लिए पहुंच रही है. राजस्थान में होली के अवसर सफेद, लाल, पीले रंग की साड़ियां पहनने का रिव…और पढ़ेंX
फागुन पर मार्केट में आई नई डिजाइनर साडिया
हाइलाइट्स
पाली में होली के लिए 150 वैरायटी की साड़ियां उपलब्ध हैं.साड़ियों की कीमत 300 से 10 हजार तक है.महिलाएं सफेद, लाल, पीले रंग की साड़ियां खरीद रही हैं.
पाली. फाल्गुन मास की शुरूआत के साथ ही महिलाओं की भीड़ जहां बाजारों साड़ियां खरीदने के लिए उमड़ने लगी है. वहीं कृष्ण मंदिरों में फाल्गुनोत्सव की धूम भी शुरू हो चुकी है. वहीं, फाल्गुन में पहने जाने वाली विशेष साड़ियां भी बाजार में दिखने लगी है. दरअसल, मेवाड़ की परंपरा के अनुसार फाल्गुन मास में फागणिया पहनने का रिवाज है. महिलाएं सफेद-लाल व पीले रंगों की साड़ियों में नजर आने लगी हैं. शहर के बाजारों में विशेष रूप से सफेद, लाल, पीले रंग की साड़ी और राजपूती पोशाकें सज चुकी है.
राजस्थान की बात करे तो यहां पर साड़ियों का महत्व और अधिक बढ जाता है. बात पाली के सर्राफा बाजार की बात करें या फिर जोधपुर के त्रिपोलिया मार्केट की मिलन साडी पर इन दिनों अलग-अलग नई डिजाइन की होली के दौरान पहनने वाली साड़ियां देखने को मिल रही है, जिनको महिलाएं खूब पसंद कर रही हैं.
300 से 10 हजार तक की मिल जाएंगी साड़ियां
मेवाड़ की परंपरा रही है कि महिलाएं होली के अवसर पर पीले, सफेद व लाल रंग की पीलिया व फागणिया ड्रेस पहनती हैं. विवाहित बेटी के पहला लड़का या लड़की होने पर ढूंढ़ आदि के मौके पर पीहर से ससुराल पीलिया या फागणिया साड़ी भेजी जाती है, जो माता-पिता की तरफ से शुभकामनाओं का प्रतीक होती है. इस बार बाजार में कई तरह की नई डिजाइन की साड़ियां उपलब्ध हैं. इसमें गोटा पत्ती हैंड वर्क, सिल्क साटन के साथ ही ऑर्गेनजा की 300 से लेकर 10 हजार रुपए तक की आकर्षक डिजाइन की साड़ियां उपलब्ध हैं
फागणिया की 150 वैरायटी है उपलब्ध
इस बार बाजार में फागुणिया साड़ी की 150 से अधिक वैरायटी उपलब्ध है. महिलाओं को काफी पसंद आ रही है. मारवाड़ की परंपरा के अनुसार फागुन में फागणिया पहनने का रिवाज है. महिलाएं सफेद-लाल और पीले रंग की साड़ी में नजर आने लगी हैं. शहर के बाजारों में विशेष रूप से सफेद, लाल, पीले रंग की साड़ी और राजपूती पोशाकें सज चुकी है.
जानें फागन के पीछे का यह है महत्व
राजस्थान में वस्त्र-प्रसंग में यह बात विशेष रूप से याद आती है कि यहां मौसम के मुताबिक वस्त्र पहने जाते हैं. 200 साल पहले लिखी “कपड़ कुतूहल” में इस मान्यता पर जोर है कि रुचि की अनुकूलता पर ऋतु का प्रभाव होता है. फाल्गुन में फबते फागणिया परिधान को ओढ़ने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है जब तक बहू पर सासरे का रंग पूरा ना चढ़ जाए, तब तक तरह-तरह के रंग चढ़ाए जाते हैं. पीहर का पीला, मामैरा का कोरजल्या, बुआ की बुरलिया-ओढ़नी, जेठाणी का जेठा वेश और ननद का ननदिया नांदना, भतीजा-भतीजी होने पर ढूंढ की रस्म का रुचिकर वेश भी यही है.
First Published :
February 27, 2025, 14:20 IST
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फागणिया ड्रेस के लिए बेस्ट है पाली का यह मार्केट, हर रेंज में है उपलब्ध