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इस खतरनाक बीमारी का खतरा डबल कर सकता अकेलापन! सेहत हो जाएगी तहस-नहस, नई रिसर्च में दावा

Last Updated:October 15, 2025, 18:51 IST

Toronto University के अध्ययन में पाया गया कि अकेलापन कैंसर मरीजों में मौत का खतरा 11 प्रतिशत बढ़ाता है. सामाजिक अलगाव से मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी असर पड़ता है.इस खतरनाक बीमारी का खतरा डबल कर सकता अकेलापन! सेहत हो जाएगी तहस-नहस: शोधअकेलापन से इन गंभीर बीमारी का जोखिम डबल. (AI)

हाल ही में किए गए एक बड़े अध्ययन में पता चला है कि अकेलापन और सामाजिक अलगाव कैंसर के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं. इस शोध में यह बताया गया है कि अकेलेपन की वजह से न सिर्फ कैंसर से, बल्कि किसी भी कारण से मौत का खतरा बढ़ जाता है. कनाडा की टोरंटो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की अगुवाई में किए गए इस अध्ययन में 13 अलग-अलग शोधों का डेटा एक साथ मिलाकर जांच की गई. इन शोधों में कुल मिलाकर 15 लाख से ज्यादा कैंसर मरीजों की जानकारी शामिल थी. इन आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि कैंसर से जूझ रहे लोगों में अकेलापन आम बात है.

अकेलापन से कैंसर का कितना खतरा

शोध के नतीजों में यह भी सामने आया कि अकेलापन कैंसर से मौत का खतरा लगभग 11 प्रतिशत तक बढ़ा देता है. इस आंकड़े को निकालने के लिए शोधकर्ताओं ने कई अध्ययनों की संख्या और आकार को भी ध्यान में रखा है.

अकेलापन मरीज की सेहत पर कैसे डालता असर

ओपन-एक्सेस जर्नल बीएमजे ऑन्कोलॉजी में ऑनलाइन प्रकाशित शोधपत्र में शोधकर्ताओं ने कहा, अकेलापन और सामाजिक अलगाव का कैंसर पर प्रभाव सिर्फ बीमारी के शारीरिक कारणों या इलाज के तरीके से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह मरीजों की सेहत पर अलग तरीके से भी असर डालता है. इस अकेलेपन का असर कई तरह के कारणों से होता है.

तनाव: पहले तो शरीर की प्रतिक्रिया पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अकेलापन तनाव को बढ़ाता है, जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली कमजोर हो जाती है और सूजन जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. ये सभी बातें मिलकर बीमारी को और बढ़ा सकती हैं.

मानसिक प्रभाव: कैंसर के मरीजों को कई बार मानसिक और भावनात्मक परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार इलाज के दौरान शरीर पर बदलाव आ जाते हैं, जैसे बाल झड़ना या चेहरा बदलना, जिससे मरीजों को समाज से अलग-थलग महसूस होता है. ऐसे में उनका मनोबल गिर जाता है और वे खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं.

रोजमर्रा की जिंदगी पर असर: कैंसर का इलाज कई बार बहुत लंबा चलता है, जिसमें मरीज थकावट और दिमागी कमजोरी जैसी समस्याओं से भी गुजरते हैं. इससे वे सामाजिक गतिविधियों में कम हिस्सा लेने लगते हैं और उनके पुराने दोस्तों और रिश्तेदारों से दूरी बढ़ जाती है. लगातार अस्पताल जाना और इलाज की प्रक्रिया भी मरीज की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करती है, जिससे वे अपने पहले के जीवन से कट जाते हैं.

कैसे पाएं निजात: शोधकर्ताओं ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए कहा है कि अगर आगे और भी शोध यह साबित करते हैं, तो कैंसर के इलाज के दौरान अकेलापन और मानसिक स्थिति की जांच को जरूरी समझा जाएगा. इससे मरीजों को बेहतर जिंदगी जीने में मदद मिलेगी और उनकी बीमारी से लड़ने की ताकत भी बढ़ेगी.

Lalit Kumar

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क…और पढ़ें

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क… और पढ़ें

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October 15, 2025, 18:51 IST

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