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राजस्थान की कांग्रेस और बीजेपी में अंदरुनी खींचतान, राजनीतिक वर्चस्व के लिए मचा है घमसान

कांग्रेस में अशोक गहलोत और बीजेपी में वसुंधरा राजे के वर्चस्व की दावेदारी को लेकर उनके समर्थक लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.

कांग्रेस में अशोक गहलोत और बीजेपी में वसुंधरा राजे के वर्चस्व की दावेदारी को लेकर उनके समर्थक लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.

बीजेपी में वसुंधरा राजे के समर्थक दावा कर रहे हैं कि राज्य में वसुंधरा ही बीजेपी है और बीजेपी ही वसुंधरा. दूसरी तरफ सीएम अशोक गहलोत के समर्थक भी अब कह रहे हैं कि राजस्थान में गहलोत ही कांग्रेस है और कांग्रेस ही गहलोत.

जयपुर. राजस्थान की सियासत में दो नारे जोर-शोर से गूंज रहे हैं. एक तरफ बीजेपी में वसुंधरा राजे के समर्थक दावा कर रहे हैं कि राज्य में वसुंधरा ही बीजेपी है और बीजेपी ही वसुंधरा. दूसरी तरफ सीएम अशोक गहलोत के समर्थक भी अब कह रहे हैं कि राजस्थान में गहलोत ही कांग्रेस है और कांग्रेस ही गहलोत. गहलोत समर्थकों के निशाने पर सचिन पायलट है.

चुनाव सिर्फ वसुंधरा जिता सकती हैं : प्रह्लाद गुंजल

बीजेपी में वसुंधरा समर्थकों के भड़कने की वजह बना जयपुर के पार्टी दफ्तर में बैनर विवाद. दरअसल, पार्टी दफ्तर से उन पोस्टर को हटा दिया गया है जिनमें वसुंधरा राजे की तस्वीर थी. इसी से नाराज होकर राजे‌ समर्थक प्रह्लाद गुंजल ने दावा कर दिया कि राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत भी उतने लोकप्रिय नहीं थे, जितनी राजे हैं. गुंजल ने कहा कि राजस्थान बीजेपी में 10 ‌सीएम के दावेदार हैं, लेकिन पार्टी को चुनाव सिर्फ वसुंधरा राजे जिता सकती हैं.

राजे के बिना सत्ता में आने की कल्पना बेमाना : भवानी सिंहराजे के दूसरे करीबी भवानी सिंह राजावत ने कहा राजे के बिना सत्ता में आने की कल्पना ही बेमानी है. बीजेपी को राजे को सीएम प्रोजेक्ट करना पड़ेगा. बीजेपी से राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने वसुंधरा राजे को बीजेपी कहने पर आपत्ति की. उन्होंने कहा कि बीजेपी में व्यक्ति बड़ा नहीं, विचारधारा पार्टी बड़ी होती है.

कांग्रेस में भी खींचतान

ये खींचतान सिर्फ राजस्थान बीजेपी में नहीं, यहां की कांग्रेस में और अधिक है. दिल्ली से सचिन पायलट के खाली हाथ लौटने के बाद अब गहलोत समर्थकों ने पायलट फिर से हमला बोला. इस बार गहलोत सरकार को समर्थन कर रहे है निर्दलीय विधायकों ने यह हमला बोला और दावा कर दिया कि राजस्थान में गहलोत ही कांग्रेस है और कांग्रेस ही गहलोत. पायलट पर तंज किया कि राजस्थान कांग्रेस में अब उनका वजूद नहीं. यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके खंडेला गहलोत गुट से माने जाते हैं. पिछली बार टिकट कटा तो विधायक का चुनाव निर्दलीय लड़ा. चुनाव जीते तो गहलोत के समर्थन में खड़े हो गए. अब गहलोत को राज्य में कांग्रेस बता रहे हैं.

खंडेला के बयान पर पायलट खेमे का जवाबी हमला

खंडेला के बयान पर पायलट खेमे ने पलटवार किया है. पायलट समर्थक वेद प्रकाश सोलंकी ने चेताया कि अगर ये झगड़ा खत्म नहीं हुआ तो आने वाले पंचायत चुनाव में कांग्रेस को इसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है.

दोनों पार्टियों में मचा है घमसान

राजस्थान की दोनों ही प्रमुख पार्टियों में घमसान मचा है. सीएम अशोक गहलोत इस कोशिश में है कि वे सचिन पायलट को किनारे कर दें, जिससे राजस्थान कांग्रेस की चुनौती खत्म हो और वे सरकार व संगठन में इकलौते निर्णायक नेता रहें. दूसरी तरफ वसुंधरा राजे पिछले काफी वक्त से पार्टी में हाशिये पर हैं. 10 महीने पहले गहलोत सरकार के संकट के दौरान भी वसुंधरा राजे गुट पर पार्टी का साथ न देने के आरोप लगे थे. अब वसुंधरा राजे इस कोशिश में है कि फिर पार्टी की कमान सूबे में उन्हें मिल जाए. उन्होंने पार्टी को दिखाने की कोशिश की है कि वे ही राजस्थान में पार्टी का इकलौता लोकप्रिय चेहरा हैं.





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