जोधपुर में 500 साल से चल रही श्लील गाली गायन की परंपरा, इस बार युवाओं के लिए मिला ये खास संदेश, देखें video

Last Updated:March 23, 2025, 13:05 IST
Jodhpur News: जोधपुर में खास तौर से धुलंडी के दिन श्लील गाली गायन होता है. जिसमें परंपरागत और फिल्मी धुनों पर गायक हर वर्ष कुछ नया लिखकर लाते हैं. हजारों की भीड में प्रस्तुति देते हैं, जो किसी न किसी प्रकार की …और पढ़ेंX
श्लील गाली गायन जोधपुर
शीतलाअष्टमी पर शहर की प्राचीन परंपरा,श्लील गाली, गायन का निर्वहन किया गया। इसके तहत भीती शहर में अलग अलग स्थानों पर श्लील, गाली, गायन मंडलियों ने अपनी प्रस्तुति दी। सोनफा के केशव थानवी सहित अन्य गैर गायकों ने भीती शहर के जूनी मंडी भीमजी की हथई, डोडीदारों के मोहल्ले में अपना रंग बिखेरावहीं रंगरंगी लो फाग के नरेश दिनेश बोहरा ने नाईयों का बड़ बोहरों की पोल, दर्जियों का चौक पूरा मोहल्ला में प्रस्तुतियां दी.
इस दिन जोधपुर में खास तौर से धुलंडी के दिन श्लील गाली गायन होता है. जिसमें परंपरागत और फिल्मी धुनों पर गायक हर वर्ष कुछ नया लिखकर लाते हैं. हजारों की भीड में प्रस्तुति देते हैं, जो किसी न किसी प्रकार की सीख होती है. या यूं कहें कि आने वाले चैत्र मास से शुरू होने वाले भारतीय नव वर्ष के लिए एक तरह का रिजॉल्यूशन होता है.
500 साल पुरानी परंपरा को आज भी देते प्रस्तुतियह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है, जिसमें होली के मौके पर मनोरंजन के साथ श्लील गायन में सीख दी जाती है. भीतरी शहर में धुलंडी के दिन दोपहर में शुरू होने वाला यह गायन रात तक चलता है. इसमें हर वर्ष किसी न किसी विषय वस्तु को लेकर भी गायन में बात रखी जाती है. इस बार गायन के माध्यम से समाज अपनी मर्जी युवाओं को विवाह करने की बजाय सुखद जीवन के लिए यह अधिकारी माता-पिता को देने के लिए प्रेरित किया गया.
रात तक चला है सिलसिला, जमकर उमड़ी भीड़मारवाड़ में महाराजा मानसिंह के शासनकाल में संगीत को बढावा मिला था. वे खुद गीत संगीत प्रेमी थे. उसी दौर में श्लील गायन को बढ़ावा मिला. उनकी ओर से शुरू की गई श्लील गाली गायन परंपरा को शहरवासी आज तक निभाते आ रहे हैं. होली के बाद धुलंडी के दिन दोपहर में गैरियों की टोली गाती हुई निकलती है, जो कि बाद में होली ओर शीतला अष्टमी तक आगे भीड़ के बीच में बने मंचों पर अपना श्लील गायन प्रस्तुत करती है. सुनने के लिए पूरे शहर से लोग यहां उमडते हैं. शहर के जनप्रतिनिधि भी शामिल होते हैं. शितलाष्टमी को भी यह गायन होता है.
Location :
Jodhpur,Rajasthan
First Published :
March 23, 2025, 13:05 IST
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जोधपुर में 500 साल से चल रही श्लील गाली गायन की परंपरा, देखें Video