Rajasthan

घर पर शहरी खेती का मॉडल अपनाएं, सेहत, ताजगी और परिवारिक बॉन्डिंग का बन जाएगा अद्भुत संगम

Last Updated:October 19, 2025, 12:11 IST

Terrace or Balcony Farming Tips: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में शहरी खेती एक नया ट्रेंड बन गई है.घर की छत या बालकनी में गमलों में सब्जियां उगाकर ताजगी, पौष्टिकता और स्वास्थ्य दोनों का लाभ लिया जा सकता है. यह प्राकृतिक तरीका केमिकल मुक्त और पर्यावरण अनुकूल है. बच्चों और परिवार के लिए यह एक्टिविटी मनोरंजन और सीखने का माध्यम भी बनती है.कम जगह और साधनों में भी आप मिनी फार्म तैयार कर सकते हैं.शहरी खेती

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम काम में इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपने स्वास्थ्य से समझौता करके बाजार की सब्जियों और फलों पर निर्भर हो गए हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर यही ताजी सब्जियां आपके घर की छत या बालकनी में उगे, तो कैसा लगेगा? हां, आप सही सोच रहे हैं. आप अपने घर में शहरी खेती कर सकते हैं. यह एक नया ट्रेंड है जो शहरों की भीड़भाड़ में हरियाली और ताजगी दोनों लाता है और लोगों को प्राकृतिक जीवन की ओर प्रेरित करता है.

शहरी खेती

शहरी खेती ताजगी और पौष्टिकता की गारंटी देती है. सीधे पौधों से तोड़कर खाई गई सब्जियों का स्वाद अलग ही होता है. इसमें किसी तरह के केमिकल या कीटनाशक का प्रयोग नहीं होता, जिससे यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. इससे न केवल हम स्वस्थ रहते हैं बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा करते हैं. कम जगह और कम पानी में खेती कर प्रदूषण घटाने और ऑक्सीजन स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है. इस तरह यह पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है.

शहरी खेती

घर की छत, बालकनी या खाली पड़ी जमीन को शहरी खेती के लिए आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है. इसके लिए गमले, ग्रो बैग, पुराने प्लास्टिक के डिब्बे या टोकरी का प्रयोग किया जा सकता है. इनमें मिट्टी और जैविक खाद डालकर सब्जियों के बीज या पौधे लगाए जाते हैं. रोजाना हल्का पानी और थोड़ी देखभाल से पौधे जल्दी बढ़ने लगते हैं. कुछ ही हफ्तों में आपकी छत हरी-भरी दिखने लगती है, जिससे घर का वातावरण भी सुंदर बन जाता है और परिवार को प्राकृतिक ताजगी का अहसास होता है.

शहरी खेती

शहरी खेती के लिए टमाटर, मिर्च, धनिया, मेथी, पालक, लौकी, करेला, तुरई, भिंडी और प्याज जैसी सब्जियां सबसे उपयुक्त रहती हैं. ये सब्जियां कम जगह और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं. इसके अलावा नींबू, बैंगन, शिमला मिर्च और गाजर जैसी फसलें भी गमलों में उगाई जा सकती हैं. बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी या तोरी को छत के कोनों या ग्रिल के पास लगाकर ऊपर चढ़ाया जा सकता है. इससे जगह की बचत होती है और छत की सुंदरता भी बढ़ती है.

शहरी खेती

शहरी खेती की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें किसी बड़े खर्च की जरूरत नहीं होती. पुराने बर्तन, डिब्बे, टूटी बाल्टियां या टब भी खेती के काम आ सकते हैं. जैविक खाद घर के कचरे जैसे सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती और गोबर से तैयार की जा सकती है. इससे न केवल सब्जियों पर खर्च कम होता है बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी उपयोगी होता है. बाजार से खरीदी सब्जियों की तुलना में घर पर उगाई सब्जियां सस्ती, शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण होती है, जो परिवार की सेहत के लिए वरदान साबित होती है.

शहरी खेती

शहरी खेती का एक और मजेदार पहलू यह है कि इससे बच्चे भी प्रकृति के करीब आते हैं. बीज बोने, पौधों को पानी देने और उनकी देखभाल करने में बच्चे रुचि लेने लगते हैं. यह उन्हें मोबाइल, टीवी और सोशल मीडिया से दूर रखता है और प्रकृति के लिए प्रेम बढ़ता है. जब परिवार के सभी सदस्य मिलकर पौधे लगाते हैं तो यह एक पारिवारिक बॉन्डिंग एक्टिविटी बन जाती है, जो साथ में खुशी और अपनापन लाती है.

शहरी खेती

शहरी खेती सिर्फ सब्जियां उगाने का तरीका नहीं, बल्कि जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम है. यह शरीर, मन, पर्यावरण और जेब चारों के लिए फायदेमंद है. ताजी सब्जियों से सेहत बेहतर रहती है, पर्यावरण स्वच्छ बनता है और बाजार के खर्च में बचत होती है. तो क्यों न आप भी अपनी छत या बालकनी को एक मिनी फार्म में बदलें?

First Published :

October 19, 2025, 12:11 IST

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घर की छत या बालकनी में करें खेती, ताजी सब्जियां उगाएं और घर को बनाएं हराभरा

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