आखिर कैसे बना राजस्थान? सात चरणों में बदला राज्य का नक्शा, रियासतों को मिलाने में छूटे पसीने

भारत एक विशाल देश है. इसके कई राज्य हैं और हर राज्य की अभी खासियत और कमजोरियां हैं. बात अगर भारत के सबसे बड़े राज्य की करें, तो ये टाइटल राजस्थान के नाम है. इसे भारत का सबसे बड़ा राज्य कहा जाता है. लेकिन आज जिस राजस्थान को हम जानते हैं, उसे एक साथ इक्कठा करने में साढ़े आठ साल का समय लग गया. कई रियासतों में बिखरे इस प्रदेश का नाम ही फाइनल करने से पहले सात बार बदला गया.
जी हां, राजस्थान के राजपुताना रियासतों को कभी किसी की गुलामी पसंद नहीं आई. इस वजह से वो बिखर कर अलग तहसील में रहते थे. लेकिन जब भारत को एक किया गया, तब काफी मेहनत से मनाए जाने के बाद सभी रियासतों ने बारी-बारी से एक राज्य के अंदर खुद को संग्रहित कर दिया. इस प्रक्रिया में साढ़े आठ साल का समय लगा. आइये आपको बताते हैं कि आज के राजस्थान को बनाए जाने की प्रक्रिया क्या थी?
सात बार बदला नामजिस राजस्थान को आज हम जानते हैं, उसके नाम को ही कई बार बदला गया गया. जैसे -जैसे इसमें रियासत जुड़ती गई, वैसे-वैसे इसके नाम को बदला गया.
–सबसे पहले आजादी के साल यानी 1947 में में इसे बनाया गया. उस समय इसके अंदर अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली शामिल थे. तब इसे मतस्य यूनियन का नाम दिया गया था.
–दूसरे स्टेज में इसके अंदर नौ राज्य और जुड़े और दो तहसीलों को जोड़ कर इसे राजस्थान यूनियन का नाम दिया गया.
–तीसरे स्टेज में उदयपुर इसके अंदर आया और ये यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ राजस्थान बना.
–चौथे स्टेज में इसके अंदर बीकानेर, जयपुर, जैसलमेर और जोधपुर आए जिसने इसे ग्रेटर राजस्थान बना दिया.
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FIRST PUBLISHED : May 3, 2024, 13:06 IST