आखिर रूस ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता क्यों दी? पुतिन के फैसले के पीछे का दिमाग तो समझिए
मॉस्को: व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान और सीरिया को लेकर बड़ा कदम उठाया है. जहां अभी तक तालिबान को कोई भी देश मान्यता नहीं देता है वहीं रूस ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार और सीरिया में नई लीडरशिप को मान्यता देने के लिए कानून पारित कर दिया है.
कुछ ही रोज पहले रूसी स्टेट ड्यूमा ने तालिबान को प्रतिबंधित समूहों की सूची से हटाने के लिए जरूरी तीन रीडिंग में से पहले बिल को मंजूरी दे दी थी. अफगानिस्तान ने इस फैसले का स्वागत था . व्लादिमीर पुतिन ने जुलाई में कहा भी था कि तालिबान अब आतंकवाद से लड़ने में सहयोगी है. उधर तालिबान ने भी कहा है कि वह अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी को खत्म करने के लिए काम कर रहा है.
रूस चाहता है अफगानिस्तान से सामान्य संबंध क्योंकि…रूस की संसद ने यह कानून पारित करते हुए प्रावधान किया है कि अदालतें आतंकवादी लिस्ट में शामिल समूहों पर लगे प्रतिबंध हटा सकेंगी. रूस का यह कदम अफगान तालिबान और सीरिया के नए नेतृत्व के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए उठाया गया लगता है. फिलहाल तक कोई भी देश अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देता है. बता दें कि तालिबान ने 20 साल के युद्ध के बाद अगस्त 2021 अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था. अब ऐसा लगता है कि पुतिन धीरे-धीरे तालिबान के साथ संबंध सामान्य बना लेना चाहते हैं.
रूस में मुस्लिम बहुल इलाके चेचन्या के नेता रमजान कादिरोव ने सोमवार को सीरियाई ग्रुप हयात तहरीर अल शाम (HTS) को रूस की प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों की लिस्ट से हटाने के लिए कहा. HTS ही वह समहू है जिसने इस महीने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाने में अहम भूमिका निभाई थी.
अपनी सुरक्षा के लिए पुतिन ने उठाया ये कदम..पुतिन के करीबी सहयोगी कादिरोव के मुताबिक, स्टेबिलिटी बने रहे और खून खराबा और न हो इसके लिए रूस को नए सीरियाई अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध बनाने ही होंगे. रूस सीरिया की नई लीडरशिप के संपर्क में है ताकि वह पहले की तरह ही मेडिटेरियन इलाके में हवाई क्षेत्र और एक नेवी बेस बनाए रख सके. मार्च में ही मॉस्को के बाहर एक कॉन्सर्ट हॉल में इस्लामिक स्टेट ने 145 लोगों की हत्या कर दी थी.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि ये ग्रुप अफगानिस्तान के इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISIS-K) का हमला था. मास्को को अफगानिस्तान से लेकर मध्य पूर्व तक कई देशों में के इस्लामी आतंकी समूहों से एक बड़ा खतरा दिखाई देता है. यहां असद के पतन के साथ रूस के लिए सुरक्षा के लिहाज से पकड़ बनाए रखना जरूरी हो गया है. (रॉयटर्स से इनपुट के साथ)
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 09:27 IST