झालावाड़ के बाद चुरू का खौफनाक सच! खंडहर बन चुका स्कूल, बच्चे खुले में पढ़ने को मजबूर

Last Updated:July 26, 2025, 21:23 IST
Churu News: झालावाड़ हादसे ने सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति उजागर की. कालूसर गांव का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भी उपेक्षा का शिकार है. बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. प्रशासन उदासीन है.
हाइलाइट्स
विद्यालय भवन जर्जर, बच्चों की जान जोखिम में.छत से प्लास्टर गिर रहा, बाउंड्री भी नहीं है.बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर.चुरू. झालावाड़ हादसे ने ना सिर्फ सिस्टम की पोल खोल दी बल्कि दर्जनों परिवारों को जीवनभर का ऐसा दर्द दे दिया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. हादसे के बाद पूरा देश शोक में और स्तब्ध है. लेकिन सवाल यही है कि क्या आगे ऐसे हादसे प्रदेश सरकार रोक पाएगी. प्रदेश में अब भी ऐसे अनेकों सरकारी स्कूल भवन हैं जो लापरवाह सिस्टम के शिकार हैं. जिनकी नींव और दीवारें जर्जर हो चुकी हैं. लेकिन प्रशासन का ध्यान अभी भी उनकी ओर नहीं गया है. जिले की सरदारशहर तहसील के गांव कालूसर का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भी ऐसी ही उपेक्षा का शिकार है.
यह विद्यालय 12वीं कक्षा तक संचालित हो रहा है लेकिन इसके भवन की दीवारें खोखली और कमरे जर्जर हो चुके हैं. यहां हर समय हादसे का खतरा बना रहता है. भवन में बने कमरों की दीवारें बेहद कमजोर हैं. छत से प्लास्टर टूटकर नीचे गिर रहा है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चे हर समय खौफ के साए में रहते हैं. स्कूल स्टाफ ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें जर्जर कमरों में नहीं बैठाकर बाहर खुले आसमान के नीचे पढ़ाना शुरू कर दिया है. ऐसे में कैसी पढ़ाई हो पा रही होगी, यह सहज समझा जा सकता है.
50 साल से पुराना है भवन, कई कमरे हो चुके हैं खंडहर
कालूसर गांव के इस स्कूल भवन के कमरों की ज्यादातर दीवारें दरक चुकी हैं. कई जगह मोटी-मोटी दरारें हैं. गांव के सरपंच फुसे खान ने बताया कि जर्जर दो कमरे तो बहुत पहले गिरा दिए गए ताकि कोई हादसा ना हो. लेकिन अब भी कई कमरे खंडहर जैसे बन चुके हैं. पिछले कई वर्षों से वे प्रशासन, विधायक और सांसद को स्कूल भवन की हालत से अवगत करवा रहे हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ. बारिश के मौसम में स्थिति और भी खराब हो जाती है. क्योंकि तब बच्चों को बैठाने के लिए जगह नहीं मिलती. चार कमरे ही सही हैं और बाकी में पानी भर जाता है. खंडहर कमरों में बच्चों को बैठा नहीं सकते. वहीं गांव के रिटायर्ड सूबेदार भवरू खां ने बताया कि कोई भी नेता स्कूल की सुध नहीं ले रहा. स्कूल को नए भवन की सख्त जरूरत है.
खुले आसमान के नीचे पढ़ाई को मजबूर हैं बच्चेविद्यालय के जर्जर भवन के चलते छात्र-छात्राओं को खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही है. चूंकि केवल चार कमरे ही सही अवस्था में हैं, ऐसे में ज्यादातर कक्षाएं बाहर ही संचालित की जाती हैं. स्कूल 12वीं तक है लेकिन उसके अनुरूप कमरे नहीं हैं. जिन चार कमरों की स्थिति ठीक है, उन्हीं में रसोई, कक्षा, कंप्यूटर लैब और पुस्तक भंडारण की व्यवस्था की गई है. यानी एक ही कमरे में खाना बन रहा है, पढ़ाई हो रही है और किताबें भी रखी गई हैं.
प्रिंसिपल बोलीं- एक हॉल और दो कमरे बेहद जर्जरविद्यालय की प्रिंसिपल कंचन स्वामी ने बताया कि भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. एक हॉल और दो कमरे तो बेहद खतरनाक स्थिति में हैं. स्कूल की बाउंड्री भी नहीं है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से यह भवन अनुपयुक्त है. हमने विभाग को इसकी जानकारी दे दी है. लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला. बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें खुले में पढ़ाना पड़ रहा है. विद्यालय कक्षा 1 से 12 तक संचालित हो रहा है लेकिन केवल चार ही कमरे सुरक्षित हैं. यदि जल्द ही नए कमरे या भवन की स्वीकृति मिलती है तो व्यवस्था में सुधार आ सकता है.
Location :
Churu,Rajasthan
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झालावाड़ के बाद चुरू का खौफनाक सच! खंडहर बन चुका स्कूल, आसमान तले चल रही पढ़ाई