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After own child marriage this woman now inspiring others

Last Updated:May 01, 2025, 17:07 IST

आदिवासी बहुल गांव गिरवर की रहने वाली लक्ष्मी देवी की शादी 17 साल की उम्र में हो गई थी. शादी के कुछ साल बाद ही उनके पति की बीमार से मौत हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने जन चेतना संस्थान के साथ जुड़कर कार्यकर्ता के रू…और पढ़ेंX
सिरोही
सिरोही की लक्ष्मी देवी

हाइलाइट्स

लक्ष्मी देवी ने 17 साल की उम्र में बाल विवाह किया था.पति की मौत के बाद लक्ष्मी ने बाल विवाह रोकने का काम शुरू किया.लक्ष्मी आदिवासी गांवों में बाल विवाह के नुकसान के प्रति जागरूकता फैलाती हैं.

सिरोही:- बाल विवाह को एक अभिशाप माना जाता है. पढ़ने-लिखने और खेलने की उम्र में शादी के बंधन में बंधने के बाद दोनों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने खुद कम उम्र में परिवार के दबाव में बाल विवाह  कर लिया. लेकिन शादी के कुछ साल बाद ही पति की मौत हो गई. इसके बाद महिला ने अपने 3 बच्चों का अकेले पालन पोषण करने के साथ ही आदिवासी समाज को बाल विवाह के दुष्परिणाम के प्रति जागरूक कर बाल विवाह रोकने का काम कर रही है.

जिले के आबूरोड तहसील के आदिवासी बहुल गांव गिरवर की रहने वाली लक्ष्मी देवी की शादी 17 साल की उम्र में हो गई थी. शादी के कुछ साल बाद ही उनके पति की बीमार से मौत हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने जन चेतना संस्थान के साथ जुड़कर कार्यकर्ता के रूप में बाल विवाह रूकवाने और इसके नुकसान के प्रति आदिवासी बहुल गांवों में जागरूक करने का काम किया.

बाल विवाह से कई तरह की परेशानियांउन्होंने लोकल 18 को बताया कि वह जन चेतना संस्थान के साथ बाल विवाह की रोकथाम के लिए काम कर रही है. उनकी खुद की 17 वर्ष की उम्र में शादी हुई है. इसलिए बाल विवाह से होने वाले नुकसान को बहुत अच्छे से समझती हैं. जल्दी शादी होने से वह अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सकी. शादी के कुछ साल बाद ही पति की भी मौत हो गई थी.

उसने अपने तीन बच्चों का अकेले पालन पोषण कर माता-पिता दोनों की जिम्मेदारी पूरी की है. गांव में भी वार्ड पंच के रूप में निर्वाचित होकर लोगों की ज्यादा से ज्यादा मदद करवाने का काम कर रही है. इसके अलावा संस्था के साथ जुड़कर कई बाल विवाह को रूकवाने में अहम भूमिका निभा चुकी है.

जनजाति में छुपके से होते हैं बाल विवाहगरासिया समाज की महिला जनप्रतिनिधि सरमी बाई ने Local 18 को बताया कि अन्य समाज के मुकाबले आदिवासी समाज में ना कोई पंडित बुलाया जाता है और ना ही शादी के कार्ड आदि छपवाए जाते हैं. ऐसे में बाल विवाह की सूचना मिलना और उसे रूकवा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. पहले समाजिक मेलों में नाबालिग बालिकाओं को खींचना प्रथा के तहत शादी के लिए ले जाया जाता था, लेकिन अब ये प्रथा सामाजिक सुधार के लिए की गई पहल के बाद बंद हो गई है.

Location :

Sirohi,Rajasthan

homerajasthan

17 साल की उम्र में हो गई शादी, अब दूसरों की जिंदगी बचा रहीं सिरोही की लक्ष्मी

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