Agri biotechnology to prevent climate change | जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए एग्री बायोटेक्नॉलॉजी
जयपुरPublished: Jun 16, 2023 12:35:58 am
जीएम ने खोले खेती के द्वार
नई दिल्ली. जलवायु परिवर्तन ने वैश्विक संकटों को बढ़ाया है। महामारी और भू-राजनैतिक अस्थिरता के कारण खाद्य आपूर्ति में आई बाधा ने लोगों को विज्ञान एवं एग्री-बायोटेक्नॉलॉजी अपनाने की ओर प्रेरित किया है। महामारी को नियंत्रित करने के लिए बायोटेक्नॉलॉजी द्वारा पेश किए गए तीव्र समाधानों से खाद्य उत्पादन और वितरण में अनेक समस्याओं के लिए टेक्नॉलॉजिकल समाधानों में उपभोक्ता के विश्वास को बल मिला है। यह कहना है डॉ. रत्ना कुमरिया, सीनियर डायरेक्टर, एग्रीकल्चरल बायोटेक्नॉलॉजी, अलायंस फॉर एग्री इनोवेशन, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया का। उन्होंने बताया कि दुनिया के कई देशों में अपनी आबादी को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए पिछले 5 सालों में जीएम खेती को अपनाया गया है। इन देशों में चीन, केन्या, मलावी, घाना और नाईजीरिया हैं। चीन में अभी तक जीएम कपास और जीएम पपीते की वाणिज्यिक खेती की अनुमति मिल चुकी है। इस बात के मजबूत संकेत मिल रहे हैं कि कुछ और जीएम फसलों, खासकर जीएम मक्का और जीएम सोयाबीन को भी वाणिज्यिक खेती की अनुमति जल्द दे दी जाएगी। भारत सरकार कई दशकों से आधुनिक विज्ञान और कृषि में इसके उपयोग के लिए वित्तीय मदद दे रही है, ताकि कृषि क्षेत्र में परिवर्तन संभव बनाया जा सके। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र द्वारा बेहतर लक्षणों और पोषण वाली जीएम फसलों का विकास किया जा रहा है। जीएम सरसों की कमर्शियल स्वीकृति ने बेहतर लक्षणों वाली अन्य जीएम फसलों की स्वीकृति मिलने और खेती के द्वार खोल दिए हैं।