Agriculture News: इस विदेशी फल की खेती करें किसान, एक सीजन में बन जाएंगे लखपति, मार्केट में रहती है भारी डिमांड!

Last Updated:October 30, 2025, 22:50 IST
Agriculture Tips: स्ट्रॉबेरी की खेती सीकर के लक्ष्मणगढ़ में लोकप्रिय है. दिनेश जाखड़ के अनुसार सही विधि अपनाकर किसान कम समय में लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं.
किसान अगर मार्केट की डिमांड के अनुसार खेती करते हैं तो उन्हें उनके मेहनत का दुगना मुनाफा मिलता है. इस समय अगर किसान मीठे और रसीले फल स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं तो बहुत कम समय में वे लखपति बन सकते हैं. बाजार में इसकी बढ़ती मांग और अच्छे दाम इसे मुनाफे की फसल बनाते हैं. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि यदि किसान सही विधि और सही तरीका अपनाएं, तो स्ट्रॉबेरी की खेती से लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं. आज एग्रीकल्चर स्पेशल इस खबर में हम आपको स्ट्रॉबेरी खेती को आप किस तरीके से कर सकते हैं और इस खेती के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में बताएंगे.

जलवायु और मिट्टी: एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि 15-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान स्ट्रॉबेरी की वृद्धि और फल लगने के लिए सबसे सही माना जाता है. इस खेती के लिए पाला और अधिक गर्मी हानिकारक हैं. इसके लिए हल्की रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. स्ट्रॉबेरी की खेती के दौरान मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए.

खेत की तैयारी: स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने से पहले किसान खेत की 2-3 गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ 15 सी 20 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें. इसके अलावा खेत को समतल कर लगभग एक फीट ऊंची और 2-3 फीट चौड़ी मेड़ बना लें. इसके अलावा मैदानी क्षेत्रों में अक्टूबर से नवंबर का महीना बुवाई के लिए उपयुक्त है. खेती में मल्चिंग का प्रयोग खरपतवारों को नियंत्रित करता है, मिट्टी की नमी बनाए रखता है.

रोपण विधि: एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान कैमरोजा, चैंडलर, स्वीट चार्ली, फेयर फॉक्स, ओफरा, विंटर डॉन आदि प्रमुख किस्म के बचों का उपयोग कर सकते हैं. किसान इस बात का ध्यान रखे कि वे अपने क्षेत्र की जलवायु और बाजार की मांग के अनुसार किस्म चुनें. वहीं, मल्चिंग शीट में छेद करके पौधों को 30 से 45 सेमी की दूरी पर लगाएं.

सीकर के लक्ष्मणगढ़ क्षेत्रों में किसान इसे व्यावसायिक रूप से उगा रहे हैं. किसान हिमाचल और महाराष्ट्र से उच्च गुणवत्ता वाले पौधे मंगवाते हैं. खेती के लिए मिट्टी परीक्षण के अनुसार उर्वरक प्रबंधन करें. नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग मिट्टी की उर्वरता और फसल की गुणवत्ता बनाए रखता है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट के अनुसार किसान उन्नत तरीकों को अपनाकर इस खेती में और भी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इस खेती में खास ध्यान रखने योग्य बात है कि पौधों को नियमित और पर्याप्त सिंचाई की आवश्यकता होती है. बूंद-बूंद (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली इसके लिए सबसे अधिक फायदे का सौदा है, क्योंकि यह पानी की बचत के साथ पौधों की जड़ों तक नमी पहुंचाती है.

इसके अलावा खरपतवार नियंत्रण के लिए प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग करें, जिससे न केवल नमी बनी रहती है बल्कि फसल में कीटों और रोगों की संभावना भी कम होती है. किसान फलों की कटाई तब करें जब वे पूरी तरह से लाल और पके हुए हों. कटाई का समय सुबह या शाम का रखें ताकि फलों की ताजगी बनी रहे. फलों की अच्छी गुणवत्ता के लिए पौधों से निकलने वाले रनर्स को समय-समय पर हटाते रहें. यदि फसल में कीट या रोग के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत इसका समाधान करें.
First Published :
October 30, 2025, 22:37 IST
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Agriculture News: इस विदेशी फल की खेती करें किसान, एक सीजन में बन जाएंगे लखपति



