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Agriculture News: रबी सीजन में उपज बढ़ाने के लिए जानें सही खरपतवार नियंत्रण के उपाय, उतपादन में होगी बढ़ोतरी

नागौर. रबी सीजन शुरू होते ही किसान खेतों में गेहूं, जौ, चना, सरसों जैसी प्रमुख फसलों की बुवाई में जुट गए हैं, लेकिन इन फसलों के साथ एक और बड़ी चुनौती होती है – खरपतवार की. ये खेतों में फसलों के साथ तेजी से बढ़ते हैं और पौधों के पोषक तत्व, धूप और नमी को छीन लेते हैं. इससे फसलों की बढ़वार रुक जाती है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है, इसलिए किसानों को रबी सीजन में शुरुआत से ही खरपतवार नियंत्रण के उपाय अपनाने चाहिए.

इससे उन्हें अपनी मेहनत का पूरा लाभ मिलेगा. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि खरपतवार को खेत से निकालना तभी आसान होता है जब वे छोटे और कोमल अवस्था में हों. अगर इन्हें बढ़ने दिया जाए और इनमें फूल या बीज आने लगें तो ये बार-बार मिट्टी में उगते रहते हैं, इसलिए किसान बुवाई के 15 से 20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई जरूर करें. इससे खरपतवार जड़ से उखड़ जाते हैं और मिट्टी की हवा और नमी का संतुलन भी बना रहता है.

मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के उपायएग्रीकल्चर एक्सपर्ट के अनुसार, किसानों को खेत से निकले खरपतवारों को तुरंत जलाने की बजाय सूखने के लिए धूप में छोड़ देना चाहिए. ये सूखकर मिट्टी में मिल जाते हैं और प्राकृतिक खाद का काम करते हैं. वहीं, जिन खरपतवारों में बीज आ चुके हों, उन्हें खेत से दूर फेंकना चाहिए ताकि वे दोबारा न उगें. कई किसान इन सूखे खरपतवारों को कंपोस्ट पिट में डालकर जैविक खाद भी तैयार करते हैं.

इसके अलावा, रबी के मौसम में मिट्टी अधिक ठंडी और नम रहती है. ऐसे में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए नियमित गुड़ाई जरूरी होती है. मिट्टी की गुड़ाई से उसमें मौजूद खरपतवार के बीज नष्ट हो जाते हैं और ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है. ध्यान रहे कि गुड़ाई सूखी मिट्टी में करें, क्योंकि गीली मिट्टी में यह प्रक्रिया उल्टा असर कर सकती है. गीली मिट्टी में गुड़ाई करने से खरपतवार के बीज एक जगह से दूसरी जगह फैल जाते हैं.

जिद्दी खरपतवार से निपटने के तरीकेकुछ खरपतवार जैसे बथुआ, कान्टा या दूब घास की जड़ें मिट्टी में बहुत गहराई तक जाती हैं, इन्हें केवल ऊपर से काटने की बजाय पूरा जड़ सहित निकालना जरूरी है. अगर इन्हें कंपोस्ट में डालना हो तो पहले सुखा लें, वरना ये कंपोस्ट में दोबारा उग सकते हैं. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट ने बताया कि कई बार मिट्टी की गहरी गुड़ाई करने से नीचे दबे खरपतवार के बीज ऊपर आकर फिर अंकुरित हो जाते हैं, इसलिए गुड़ाई के बाद खेत का निरीक्षण करें और नई अंकुरित खरपतवारों को तुरंत निकालें. अगर किसी खेत में बार-बार खरपतवार उग रहे हों, तो कुछ समय के लिए उस भूमि को ढककर छोड़ दें. कार्डबोर्ड या प्लास्टिक की शीट से ढकने पर धूप न मिलने से खरपतवार की जड़ें खुद नष्ट हो जाती हैं.

हरी खाद से मिट्टी को उपजाऊ बनाएंकई किसान खेत में हरी खाद का प्रयोग करते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसके साथ खरपतवार के अंश मिट्टी में न मिलें. यदि हरी खाद में खरपतवार के बीज हैं, तो ये आगे चलकर समस्या बन सकते हैं, इसलिए हरी खाद डालने के बाद नई खरपतवार की पत्तियां दिखें तो उन्हें तुरंत निकाल दें. रबी फसलों में खरपतवार नियंत्रण न केवल उपज बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि पौधों की सेहत और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी सहायक होता है. समय पर की गई निराई-गुड़ाई और जैविक उपाय अपनाकर किसान आसानी से उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकते हैं.

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