Agriculture News : लागत से डेढ़ गुना मुनाफा, देश-विदेश में मांग… नागौर में इस चीज की खेती से किसान मालामाल!

Last Updated:November 01, 2025, 22:58 IST
Agriculture Tips: नागौर में जीरे की खेती कम लागत और पानी में अधिक मुनाफा दे रही है. बजरंग सिंह के अनुसार नागौर का जीरा देश विदेश में मांग और किसानों की आमदनी बढ़ा रहा है.
नागौर. राजस्थान के नागौर जिले में इन दिनों जीरे की खेती किसानों के लिए सोने पर सुहागा साबित हो रही है. कम पानी में होने वाली यह नकदी फसल किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया बन गई है. जीरे की खेती से जहां लागत कम आती है, वहीं मुनाफा कई गुना तक बढ़ जाता है. यही वजह है कि नागौर, डेगाना, लाडनूं, कुचामन और मकराना क्षेत्र के किसान तेजी से पारंपरिक फसलों से हटकर जीरे की आधुनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं.
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि नागौर की जलवायु और मिट्टी जीरे की खेती के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है. यहां की दोमट और हल्की रेतीली मिट्टी में यह फसल अच्छी उपज देती है. इस फसल की बुवाई का समय नवंबर महीना होता है, जबकि मार्च तक कटाई का समय रहता है. इस खेती में सिंचाई की जरूरत बहुत कम पड़ती है. आमतौर पर 3 से 4 बार पानी देना पर्याप्त होता है. खेत की तैयारी में दो बार जुताई और एक बार रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लिया जाता है. जीरे की बुवाई के बाद शुरुआती दिनों में नमी बनाए रखना जरूरी होता है. फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए नीम आधारित जैविक कीटनाशकों का उपयोग भी लाभकारी माना गया है.
लगत से डेढ़ गुना अधिक मुनाफाएग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि एक हेक्टेयर में औसतन 6 से 8 क्विंटल जीरा उत्पादन होता है. मौजूदा बाजार दर के अनुसार प्रति क्विंटल जीरा 20,000 रुपये के आसपास बिक रहा है. इस हिसाब से किसान एक हेक्टेयर में लगभग एक लाख से 1.2 लाख रुपये तक की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. जबकि लागत करीब 30 से 40 हजार रुपये तक आती है. इस तरह प्रति हेक्टेयर शुद्ध मुनाफा 80 हजार से एक लाख रुपये तक हो जाता है. कुछ उन्नत किसान आधुनिक तकनीक, जैविक खाद और नियंत्रित सिंचाई प्रणाली अपनाकर इससे भी अधिक लाभ कमा रहे हैं.
नागौर के जीरे की बढ़ती मांगनागौर का जीरा न केवल राजस्थान बल्कि गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बाजारों में भी बड़ी मात्रा में भेजा जाता है. इसके अलावा इसकी मांग विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है. भारत से निर्यात होने वाले जीरे में नागौर का जीरा विशेष पहचान रखता है, क्योंकि इसकी खुशबू, स्वाद और तेल की मात्रा अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक होती है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के दौर में जीरे की खेती किसानों के लिए एक स्थायी विकल्प बन सकती है. यह कम पानी, कम लागत और अधिक मुनाफे वाली फसल सूखे क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. ऐसे में नागौर का जीरा अब सिर्फ मसाला नहीं, बल्कि किसानों की आर्थिक मजबूती की नई कहानी बन गया है.
Anand Pandey
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें
Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
November 01, 2025, 22:47 IST
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