Agriculture News: राजस्थान के किसान अब जौ की खेती से बना रहे लाखों का खेल, कम पानी में ज्यादा फसल

Last Updated:October 11, 2025, 20:54 IST
Agriculture News: राजस्थान के किसान अब कम पानी और कम लागत वाली जौ की वैज्ञानिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. उन्नत किस्मों और उचित देखभाल से 140 दिनों में फसल तैयार होती है. इससे किसान आर्थिक रूप से मजबूत बन सकते हैं और पशु चारा, दलिया व बीयर उद्योग के लिए मांग को भुनाकर लाभ कमा सकते हैं.
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नागौर : राजस्थान के किसान अब पारंपरिक फसलों से हटकर जौ की वैज्ञानिक खेती की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं. यह रबी की फसल कम पानी, कम लागत और कम समय में अधिक उत्पादन देने के कारण शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह के अनुसार जौ की बुवाई का सबसे सही समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के मध्य तक होता है.
इसकी बुवाई से पहले खेत की 2 से 3 बार जुताई और एक बार पाटा लगाना जरूरी है. उन्होंने बताया कि इसकी प्रति एकड़ लगभग 40 किलोग्राम बीज पर्याप्त रहते हैं. जौ की खेती को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, केवल 2 से 3 सिंचाई में ही पूरी फसल तैयार हो जाती है. किसानों को फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट और संतुलित रासायनिक उर्वरक जैसे डीएपी व यूरिया का उचित अनुपात में ही प्रयोग करना चाहिए. साथ ही नियमित निगरानी से फफूंदी और कीटों से बचाव भी जरूरी है.
140 दिनों में तैयार होती है फसलएग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि जौ की फसल 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है. यह कम लागत वाली फसल है और कम सिंचाई में भी अच्छी पैदावार देती है. उन्होंने बताया कि इस खेती में उन्नत किस्में अपनाकर किसान लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं. इसके लिए किसान बीएच-393, बीएच-902, आरडी-2035, आरडी-2552, डीडब्ल्यूआरबी-101 और बीएच-946 किस्मों को अपने खेत में लगा सकते हैं. क्योंकि इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और औसतन 20 से 25 प्रतिशत तक उत्पादन में वृद्धि देखी गई है.
मिला है कई गुना अधिक लाभ एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि आर्थिक दृष्टि से देखें तो जौ की खेती में प्रति बीघा लगभग 3 से 4 हजार रुपये की लागत आती है. जबकि इसकी उपज से किसान इससे कई गुना अधिक लाभ कमा सकते हैं. आपको बता दें कि इस जौ के दानों का उपयोग पशु चारा, दलिया, बीयर उद्योग और अन्य औद्योगिक उत्पादों में होता है, जिससे इसकी बाजार में स्थिर मांग बनी रहती है. ऐसे अगर यदि किसान समय पर बुवाई, उन्नत किस्मों का चयन और उचित रखरखाव करें तो जौ की वैज्ञानिक खेती से बेहतरीन आमदनी हासिल कर सकते हैं.
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें
Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
October 11, 2025, 20:54 IST
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राजस्थान के किसान जौ की वैज्ञानिक खेती से कमा रहे हैं कम पानी में ज्यादा लाभ