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Agriculture News: नागौर की पान मैथी पर मौसम की मार, देरी से बुवाई का उत्पादन पर असर की आशंका, किसान परेशान

नागौर. खजवाना गांव के खेत इन दिनों किसी हरे-भरे पार्क की तरह नजर आ रहे हैं. चारों ओर लहलहाती पान मैथी की फसल देखकर हर किसान खुश है. लेकिन इस सुंदर नजारे के पीछे किसानों की गहरी चिंता भी छिपी है. इस बार पान मैथी की बुवाई निर्धारित समय से करीब एक माह देरी से हुई है, जिसका सीधा असर उत्पादन और किसानों की आमदनी पर पड़ने वाला है. खेतों में हरियाली भले ही अच्छी लग रही हो, मगर देरी से हुई बुवाई ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह के अनुसार, इस बार मानसून का चक्र पूरी तरह बिगड़ गया.

बारिश देर से आने और खरीफ फसलों की कटाई में विलंब के कारण रबी सीजन की बुवाई प्रभावित हुई. नतीजतन मैथी जैसी समय पर बोई जाने वाली फसलों की बुवाई भी पिछड़ गई. उन्होंने बताया कि यह विभागीय आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष जिले में 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में मैथी बुवाई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी तक मात्र 2325 हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है. देरी से बुवाई होने के कारण दीपावली के आसपास होने वाली पहली कटाई इस बार संभव नहीं हो पाई. इसके अलावा किसानों का कहना है कि अब पहली कटाई नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत में होगी, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर असर पड़ेगा.

मैथी की खरीद के लिए स्थायी मंडी की जरूरत

गांव के किसान बस्तीराम लामरोड़ बताते हैं कि पान मैथी को जीआई टैग मिलने के बावजूद अब तक इसकी नियमित मंडी शुरू नहीं हो पाई है. इससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है. मंडी नहीं खुलने के कारण व्यापारी मनमर्जी से भाव तय कर रहे हैं, जिससे किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे. बस्तीराम का कहना है कि सरकार को तत्काल मैथी की खरीद के लिए स्थायी मंडी खोलनी चाहिए, ताकि किसानों को उनके परिश्रम का वाजिब मूल्य मिल सके.

फसल के लिए बेहतर है हल्की ठंड

कृषि विभाग का मानना है कि यदि ठंड जल्द स्थिर हो जाती है, तो फसल को कुछ हद तक लाभ मिल सकता है. हल्की ठंड पड़ने से मैथी की बढ़वार अच्छी होती है, जिससे उत्पादन में सुधार की संभावना बनी रहती है. लेकिन इधर, विशेषज्ञों का अनुमान है कि देरी से बुवाई और मंडी की अव्यवस्था के चलते करीब दो हजार क्विंटल मैथी का उत्पादन कम होगा. इसका सीधा असर किसानों की आय पर पड़ेगा, जिससे उन्हें लगभग चार करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

खजवाना की पान मैथी गुणवत्ता और स्वाद के लिए है प्रसिद्ध

आपको बता दें कि, खजवाना की पान मैथी अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. लेकिन मौसम की मार और बाजार की अनिश्चितता ने किसानों की मेहनत को संकट में डाल दिया है. खेतों का दृश्य भले ही पार्क जैसा दिख रहा हो, पर किसानों के चेहरे पर छाई चिंता यह साफ बता रही है कि देरी से हुई बुवाई और बाजार की सुस्ती ने उनकी नींदें उड़ा दी हैं. खजवाना की पान मैथी राजस्थान या भारत के अन्य राज्यों में नहीं बल्कि विदेशों में भी जाती है. लेकिन GI टैग मिलने के बाद भी अब परेशान है. जिन किसानों ने उन्नत तकनीकों का उपयोग कर ये खेती की है उनकी उससे फायदा होगा.

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