Agriculture story: बंजर भूमि को कैसे बनाएं उपजाऊ, जानें देसी जुगाड़, कमाएंगे लाखों रुपये

Last Updated:November 13, 2025, 14:33 IST
Agriculture story: पाली के राकेश राज ठकराल ने असंभव को संभव कर दिखाया. जहां कभी पत्थर और बंजर मिट्टी थी, आज वहां फूल, फल और सब्जियां लहरा रही हैं. इजराइली तकनीक और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने पहाड़ी जमीन को उपजाऊ बना दिया. अब वही जमीन उन्हें हर साल लाखों की आमदनी दे रही है.
पाली : राकेश राज ठकराल एक ऐसे किसान हैं जिन्होने ऐसी जमीन पे जिसपर शायद ही कोई फूल उगाने तक का सोच सकता. उस किसान ने ऐसी जमीन पर न केवल फल बल्कि सब्जियां उगाने का काम कर दिखाया है. पाली का जवाई लेपर्ड कंजर्वेशन एरिया से सटे इलाके बाली में राकेश राज ठकराल के पास 4 बीघा जमीन है. जो पहाडी क्षेत्र होने की वजह से मिट्टी इतनी कठोर हो गई कि इसपर कभी फसल नही हुई. मगर ठकराल ने हार नही मानी और पहले गुजरात की एक कंपनी से सर्वे करवाया जिसमें पता चला कि मिट्टी में उपजाऊपन खत्म हो चुका है. मगर लगातार रिसर्च और मेहनत के बाद उनकी बंजर जमीन की न केवल तस्वीर बदली बल्कि उसको फूलो के गार्डन के रूप में विकसित भी कर दिखाया और आज नजारा कुछ ऐसा है कि वहां मीठे ताजे फलों से लेकर इम्यूनिटी बूस्टर सब्जिया तक लहरा रही हैं.
पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से उनकी जमीन की मिट्टी कठोर थी. कभी इस पर कोई फसल नहीं हुई. एक साल पहले गुजरात की एक कंप नी से सर्वे करवाया तो पता चला कि मिट्टी में उपजाऊपन खत्म हो चुका है. लगातार रिसर्च और मेहनत के बाद उनकी बंजर जमीन की तस्वीर बदली. आज उन्होंने जमीन को सब्जियों और फूलों के गार्डन के तौर पर डेवलप किया है, जिससे अब 3 लाख रूपए की कमाई हो रही है. कहते हैं बंद पड़ी घड़ी भी दिन में दो बार सही समय दिखा देती है. राकेश ठकराल कि मेहनत और इसी विश्वास का नतीजा था कि उन्होने अपनी बेकार पड़ी जमीन को फिर से सोना उगलने वाली जमीन बनाने का काम किया. ठकराल बताते भी हैं कि उनकी पुश्तैनी जमीन है, वैसे ये इलाका उपजाऊ है, लेकिन उनकी जहां जमीन है, वहां आस–पास पहाड़ी और झाड़ियां हैं. उनके खेत में भी मिट्टी के साथ पत्थर भी हैं. इसके बाद भी इस पर रिसर्च शुरू किया.
गुजरात की एक कंपनी से लगा पता गुजरात की कंपनी को अपने गांव बुलाकर सर्वे करवाया. यहां मिट्टी और पानी की जांच करवाई. पता चला कि मिट्टी और पानी में न्यूट्रिएंट्स यानी पोषक तत्व नहीं है. इसकी वजह से यहां फसल भी नहीं हो पा रही है. इसके बाद भी इस पर काम करना शुरू किया और धीरे धीरे मेहनत रंग लाई और खेत की तस्वीर ही बदल गई. गुजरात की कंपनी से सर्वे के बाद रिपोर्ट आते ही सबसे पहले पानी पर काम किया. पुणे से 90 हजार की मशीन मंगवाई. ये मशीन पानी को खेती लायक बना देती है. करीब चार से पांच महीने मशीन से पानी को ट्रीट कर उसे खेतों में छोड़ा. इसके बाद दोबारा इसकी जांच कराई तो सुधार नजर आया. जिससे इस बंजर जमीन की तस्वीर बदलती नजर आने लगी.
इजराइली तकनीक से एक बीघा में खेतीराकेश ठकराल ने इजराइली तकनीक को राजस्थान में अपनाने का काम किया. पांच बीघा में से 1 बीघा जमीन का उपयोग किया गया. 1 बीघा जमीन को उपजाऊ बनाकर इजराइली पद्धति से इस पर टमाटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, गेंदा, लहसुन, प्याज, पालक और फूलों के 4 हजार पौधे लगाए गए. इजराइल पद्धति में मल्चिंग कर पानी की बर्बादी और पौधे के आस-पास खरपतवार पर भी पूरी तरफ नियंत्रण किया. 1 बीघा जमीन को सब्जियों और फूलों के गार्डन के तौर पर डेवलप किया गया.
Rupesh Kumar Jaiswal
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें
First Published :
November 13, 2025, 14:33 IST
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