एग्रीकल्चर टिप्स: खेतों में जरूरत से ज्यादा यूरिया छिड़का तो हो जाएगा नुकसान, यूरिया के इस्तेमाल करने का जानें फार्मूला

Last Updated:December 12, 2025, 15:04 IST
Benefits of Nano Urea : भीलवाड़ा में रबी सीजन के बीच किसानों की सबसे बड़ी चिंता यूरिया की उपलब्धता और उसके सही उपयोग को लेकर बनी हुई है. अक्सर जानकारी के अभाव में जरूरत से ज्यादा यूरिया का छिड़काव फसल को फायदा पहुंचाने की बजाय नुकसान कर देता है कृषि विभाग किसानों को नैनो यूरिया अपनाने की सलाह दे रहा है, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और लागत भी घटेगी.
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भीलवाड़ा : सर्दी के इस मौसम में अक्सर किसानों की चिंता सबसे ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि इस समय यूरिया की शॉर्टेज हो जाती है जिसके वजह से किसान अपनी फसल के उत्पादन को लेकर परेशान रहता है कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि किसान जरूरत के हिसाब से ज्यादा यूरिया खरीद लेता है और जानकारी के अभाव में फसल पर छिड़काव भी कर देता है. जिसका फसल पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है. वर्तमान में कुछ जगह गेहूं की बुवाई चल रही है. किसान गेहूं व जौ की फसल में यूरिया छिड़काव के लिए खरीद रहे हैं. जरूरत से ज्यादा यूरिया के उपयोग फसलों में कीट व बीमारियों का प्रकोप बढ़ने के साथ ही गेहूं व जौ की फसल लेटने का खतरा रहता है.
किसानों को एक बीघा में 10 से 15 किलो यूरिया खाद की जरूरत रहती है. उसके स्थान पर अगर किसान नैनो यूरिया का उपयोग करें, जिससे यूरिया के नेगेटिव प्रभाव से बचा जा सके. नैनो यूरिया से फसल भी अच्छी होगी और लागत भी कम आएगी. भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व राजसमंद जिले के कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक इंदर सिंह संचेती ने कहा कि आजकल किसानों में देखा जा रहा है कि किसान जरूर के हिसाब से ज्यादा यूरिया खरीदी लेते हैं. जिसमें देखा जाता है कि किसान या तो यूरिया का पूरा फसल पर छिड़काव कर देते हैं या फिर वह यूरिया यूं ही व्यर्थ पड़ा रहता है और फसल के हिसाब से जरूर से ज्यादा यूरिया का छिड़काव करने से फसल पर बुरा असर पड़ता है.
यूरिया पर्याप्त, नैनो से फसल को दोगुना लाभवर्तमान में कुछ जगह गेहूं की बुवाई चल रही है. किसान गेहूं व जौ की फसल में यूरिया छिड़काव के लिए खरीद रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूरिया की पर्याप्त मात्रा किसानों के लिए उपलब्ध है. किसान खेत में जितनी आवश्यकता है, उतना ही मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट व विभाग की सिफारिश के आधार पर यूरिया खाद उपयोग में ले. जरूरत से ज्यादा यूरिया के उपयोग फसलों में कीट व बीमारियों का प्रकोप बढ़ने के साथ ही गेहूं व जौ की फसल लेटने का खतरा रहेगा. विभागीय सिफारिश के अंतर्गत एक बीघा में 10 से 15 किलो यूरिया खाद की जरूरत रहती है. उसके स्थान पर अगर किसान नैनो यूरिया का उपयोग करें, जिससे यूरिया के नेगेटिव प्रभाव से बचा जा सके. नैनो यूरिया से फसल भी अच्छी होगी और लागत भी कम आएगी.
लबालब बांधों से रबी फसलों को भरपूर सिंचाईभीलवाड़ा जिले में इस बार मानसून की अच्छी बारिश होने के कारण तमाम तालाब और बांध लबालब हैं. नदियों में भी भारी मात्रा में पानी की आवक हुई थी. जिसकी बदौलत बांधों व तालाबों से नहरों के जरिए रबी की फसल की सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा रहा है. जिले में किसानों ने रबी की फसल के रूप में गेहूं, चना, सरसों, तारामीरा और जौ की फसल की बुवाई की थी. वर्तमान में गेहूं और जौ की फसल में नहरों और कुओं के जरिए सिंचाई की जा रही है. ऐसे में यूरिया खाद की सख्त आवश्यकता है. इसलिए किसान यूरिया का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि विभाग ने स्पष्ट किया है कि खाद की कोई कमी नहीं है.
About the AuthorRupesh Kumar Jaiswal
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
Location :
Bhilwara,Rajasthan
First Published :
December 12, 2025, 15:04 IST
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जानें यूरिया की ज्यादा खुराक से फसल खतरे में, नैनो यूरिया बना तारणहार



