Ajab Gajab : ना मौत का डर ना भूतों का साया, यहां श्मशान में चिता की राख से खेली जाती है होली

रिपोर्ट- रवि पायक
भीलवाड़ा. रंग रंगीले राजस्थान की कला संस्कृति और तीज त्योहार के रंग भी सबसे अलग हैं. भीलवाड़ा में होली का अपना अलग मजा है. यहां ऐसी होली खेली जाती है जिसे सुनकर या देखकर एक बार तो आप भी ठिठक जाएं. पूरे देश में रंग-गुलाल से होली खेली जाती है लेकिन यहां जैसी होली सिर्फ वाराणसी में होती है.
भीलवाड़ा में एक जगह जलती चिताओं के बीच होली खेली जाती है. ये अद्भुत और अनोखा रंग पूरे राजस्थान में भीलवाड़ा में ही देखने मिलता है. यहां रंग और गुलाल के साथ श्मशान में चिता की भस्म से भी खेली जाती है. हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा के श्मशान में खेली जाने वाली चिता की राख की होली की.
मसाने में होली
यह होली बीते 15 सालों से भीलवाड़ा शहर के पंचमुखी मोक्ष धाम स्थित श्री प्राचीन मसानिया भैरव नाथ मंदिर में खेली जाती है. इसकी खासियत यह है कि यह देर रात के समय चिता की भस्म से खेली जाती है. भैरवनाथ मंदिर में मंडली होली की रस्म और रीति रिवाज पूरे कर होली खेलती है. यहां होली खेलने भीलवाड़ा ही नहीं आसपास के राज्यों से भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. ये मंदिर में दर्शन कर भस्म से होली खेलते हैं.
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भैरूनाथ संग चिता की भस्म से होली
श्री मसानिया भैरूनाथ के पुजारी रवि कुमार ने बताया भीलवाड़ा शहर के पंचमुखी मोक्ष धाम में स्थित श्री मसानिया भैरू नाथ मंदिर में बीते 15 साल से श्मशान में चिता की भस्म से होली खेली जाती है. इस बार विशेष तौर पर 1008 कंडो से होलिका दहन भी किया गया और इसके बाद भस्म की होली खेली गयी. सबसे पहले बाबा भैरव नाथ की पूरे श्मशान में शाही सवारी निकाली जाती है और अंत में बाबा भैरवनाथ की महा आरती कर भस्म के साथ होली खेली जाती है. ये होली खेलने अन्य राज्यों और जिले के आसपास से भक्त पहुंचते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 25, 2024, 17:34 IST