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AJab Gajab: व्यापारियों ने बरसों पुरानी परंपरा से कुल्हड़, काली-सफेद ऊन और मक्खी से देखा बारिश और अनाज के भाव के शगुन

Last Updated:April 30, 2025, 21:59 IST

AJab Gajab: अक्षय तृतीया पर बाड़मेर जिले में बारिश और अनाज के भावों के शगुन देखने की परंपरा करीब बरसो पुरानी है. यह परंपरा न केवल मौसम का पूर्वानुमान लगाने में मदद करती है, बल्कि स्थानीय समुदायों और व्यापारियों…और पढ़ेंX
शगुन
शगुन देखते हुए

हाइलाइट्स

बाड़मेर में अक्षय तृतीया पर बारिश और अनाज के शगुन की परंपरामिट्टी के कुल्हड़, ऊन और मक्खी से शगुन देखे जाते हैंखेती और व्यापार की रणनीति बनाने में मदद करते हैं शगुन

बाड़मेर. बाड़मेर जिले में अक्षय तृतीया के अवसर पर व्यापारियों द्वारा बरसों पुरानी परंपरा के तहत बारिश और अनाज के भावों के शगुन देखे जाते हैं. यह अनूठी परंपरा मिट्टी के कुल्हड़, काली-सफेद ऊन और मक्खी के माध्यम से की जाती है, जो न केवल मौसम का पूर्वानुमान लगाती है, बल्कि खेती और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण संकेत भी देती है.

बारिश और अनाज के भावों के शगुन देखने की परंपरा अक्षय तृतीया पर बाड़मेर जिले में बारिश और अनाज के भावों के शगुन देखने की परंपरा करीब बरसों पुरानी है. यह परंपरा न केवल मौसम का पूर्वानुमान लगाने में मदद करती है बल्कि स्थानीय समुदायों और व्यापारियों को खेती और व्यापार की रणनीति बनाने में भी सहायता प्रदान करती है.

लगाया गया बारिश का अनुमान शगुन देखने के लिए बाड़मेर के कृषि व्यापार संघ ने पांच मिट्टी के कुल्हड़ों में बराबर पानी भरकर प्रत्येक का नाम जेठ, आषाढ़, सावन, भाद्रपद और एक ‘थम’ (सामान्य बारिश का प्रतीक) रखा जाता है. इस बार जेठ और आषाढ़ के कुल्हड़ एक साथ फूटे, जिससे इन महीनों में अच्छी बारिश का अनुमान लगाया गया. ‘थम’ कुल्हड़ का फूटना यह दर्शाता है कि हर महीने कुछ न कुछ बारिश होगी. एक बर्तन में पानी भरकर उसमें सफेद और काली ऊन रखी जाती है.

पांच अनाजों की बनाई जाती है ठुगलियां सफेद ऊन का पहले डूबना सुकाल (समृद्धि) का संकेत है, जबकि काली ऊन का डूबना अकाल का प्रतीक है. इस बार सफेद ऊन पहले डूबी, जो सुकाल का संकेत देती है, लेकिन थोड़ी कमजोरी की संभावना भी जताई गई है. रेगिस्तानी बाड़मेर जैसे इलाको में उत्पादित पांच अनाजों (मूंग, मोठ, ग्वार, मतीरा, बाजरा) की ठुगलियां बनाई जाती हैं. प्रत्येक ठुगली पर अनाज के भाव लिखे कागज और गुड़ रखा जाता है. मक्खी जिस ठुगली के गुड़ पर पहले बैठती है, उस अनाज का भाव उस वर्ष प्रबल रहने का अनुमान लगाया जाता है.

समुदाय को एकजुट करने और आशावाद फैलाने का भी माध्यमअनाज व्यापार संघ के अध्यक्ष हंसराज कोटड़िया के अनुसार ये शगुन न केवल परंपरा का हिस्सा हैं, बल्कि समुदाय को एकजुट करने और आशावाद फैलाने का भी माध्यम हैं. उनके मुताबिक इस साल बाड़मेर में बाजरा 27 रुपये, मूंग 80 रुपये, मोठ 55 रुपये, तिल 85 रुपये, मतीरा 285 रुपये प्रति किलो रहेगा.

Location :

Barmer,Barmer,Rajasthan

First Published :

April 30, 2025, 21:59 IST

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कुल्हड़ से तय हुई अनाजों के भाव, बरसों पुरानी है ये परंपरा

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