Rajasthan

Making a mark by innovating in the field of technology | टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नवाचार कर बना रहे पहचान

जयपुर. शिक्षा हमारा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग हम दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं। नेल्सन मंडेला के इन शब्दों को ध्यान में रखते हुए ही ग्रीन कैमेस्ट्री पर काम कर रही हैं प्रो. अंशु डांडिया।

वैज्ञानिक दिमाग कभी सेवानिवृत्त नहीं होता – प्रो. अंशु डांडिया
ग्रीन केमेस्ट्री और नैनो टेक्नोलॉजी में रिसर्च से बनाई पहचान
राखी हजेला
जयपुर. शिक्षा हमारा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग हम दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं। नेल्सन मंडेला के इन शब्दों को ध्यान में रखते हुए ही ग्रीन कैमेस्ट्री पर काम कर रही हैं प्रो. अंशु डांडिया। प्रो. डांडिया को हाल ही में सोसायटी फॉर मेटेरियल्स मुंबई ने महिला वैज्ञानिक पुरस्कार-2023 पुरस्कार के लिए चुना है जो अक्टूबर 2023 में प्रदान किया जाएगा।

वह राजस्थान यूनिवर्सिटी में बोर्ड ऑफ स्टडीज की कन्वीनर रही हैं। सोलर पैनल के लिए नैनो कोटिंग बनाई उन्होंने 90 के दशक में उन्होंने ग्रीन कैमिस्ट्री पर अपना रिसर्च वर्क शुरू किया। वह राजस्थान विवि में ग्रीन कैमेस्ट्री पर काम करने वाली पहली महिला थीं। उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया कि वह स्वास्थ्य कारणों से व्हील चेयर पर आ गई लेकिन उनका काम नहीं थमा। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने एक कंपनी की शुरुआत की।

हाल ही में उनकी टीम ने लगभग 0.4 माइक्रोन की मोटाई के साथ सॉलिड स्टेट नैनो कोटिंग का निर्माण किया है जिसका उपयोग सोलर पैनल में होता है। इस नैनो कोटिंग के उपयोग से बिजली और ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि होती है। वह कहती हैं कि उम्र सिर्फ एक संख्या है जिसने उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया लेकिन उनका वैज्ञानिक दिमाग उन्हें वास्तविक रूप से कभी रिटायर नहीं होने देगा।

उन्हें केमिकल रिसर्च सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से उन्हें ब्रॉन्ज मेडल, मेटेरियल्स रिसर्च सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से प्रतिष्ठित एमआरएसआई मेडल, प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक पुरस्कार साइंस लीजेंड अवॉर्ड के साथ ही उन्हें नारी शक्ति अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।

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