वृंदावन, मथुरा और ब्रज की होली के साथ अलवर के महाराजा जयसिंह की होली थी खास, जानिए वजह

Last Updated:March 14, 2025, 07:21 IST
Holi 2025: देशभर में धूलंडी का पर्व शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जाएगा. देश में होली के पर्व पर कई रंग की होली खेली जाती है. कहीं तो फूलों से होली खेली जाती है. कहीं लट्ठमार होली खेली जाती है. वृंदावन, मथुरा और …और पढ़ेंX
अलवर के महाराजा जयसिंह की होली थी खास
देशभर में धूलंडी का पर्व शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जाएगा. देश में होली के पर्व पर कई रंग की होली खेली जाती है. कहीं तो फूलों से होली खेली जाती है तो कहीं लट्ठमार होली खेली जाती है. वृंदावन, मथुरा और ब्रज की होली तो देशभर में प्रसिद्ध है. लेकिन राजस्थान के अलवर की होली भी खास हैं,यहां की होली की कहानी ही अलग है.
अलवर में रियासतकाल के दौरान एक अजीब होली खेली जाती थी. जो इंद्र विमान पर सवार होकर प्रजा के साथ होली खेलने के लिए अपने महल से निकलते थे. इस दौरान वे शहर के त्रिपोलिया, होप सर्कस होते हुए तीजकी होते हुए महल की ओर लौटते थे. महाराज जय सिंह अपनी प्रजा पर गुलाल गोटे मारते थे. जिसमें से अलग अलग रंग निकलते थे. महाराज के साथ होली खेलने के लिए प्रजा रोड के दोनों ओर खड़ी रहती थी. अलवर के राजशाही जमाने में महाराज जय सिंह की होली को लोगों द्वारा याद किया जाता है.
महाराजा जय सिंह की होली है प्रसिद्ध अलवर के इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि प्रसिद्ध डोलची मार होली अलवर में भी खेली जाती थी. जहां एक टैंक में पलाश के फूलों का रंग घोलकर रखा जाता था. इस दौरान वहां डोलची मार होली खेलने के लिए टोलिया पहुंचती थी. होली पर अलवर के महाराजा अपने जागीरदार के साथ होली खेलते थे. उन्होंने बताया कि आज के समय में डोलची मार होली का प्रचलन अलवर में नहीं है.इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि अलवर के केडल गंज में होली के पर्व पर संगीत दंगल, ढप बजाने के साथ ही गीत गाए जाते थे. अलवर शहर के हर मोहल्ले में होली खेलने के लिए युवाओं की टोली जाती थी और गाने बजाने के साथ ही कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया जाता था. लेकिन यहां आज भी कवि सम्मेलन का आयोजन होता है.
Location :
Alwar,Rajasthan
First Published :
March 14, 2025, 07:21 IST
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वृंदावन, मथुरा और ब्रज की होली के साथ अलवर के महाराजा जयसिंह की होली थी खास