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गहरे अमेजॉन में जिंदगी बिता रही आदिवासी महिलाएं अब गर्भवती होने से डर रही हैं. यहां रहने वाले समुदायों की जीवनरेखा मानी जाने वाली नदियां अब पानी नहीं जहर बहा रही हैं. अवैध सोने के खनन की वजह से नदी के पानी में अब पारा (Mercury) घुल गया है. जिससे पेट में पल रहे बच्चे को भयानक खतरा होता है.

ऐंठ गई बच्चे की मांसपेशियां

यहां पर आदिवासी समुदाय मुंडुरुकु की एक नेता, एलेसेंड्रा कोराप ने बहुत निराश होकर कहा ‘मां का दूध अब पवित्र नहीं रहा’. अवैध खदानों से घिरे मुंडुरुकु समुदाय, साई सिन्जा में पैदा हुई तीन साल की रैनी केटलेन इस जहर की शिकार हुई है. उसकी मांसपेशियां इस कदर ऐंठ गई हैं कि वो सिर तक नहीं उठा पाती. रैनी उस क्षेत्र के उन 36 लोगों में से एक है, जिनमें से ज्यादातर बच्चे हैं, और जिनमें ऐसे न्यूरो संबंधी विकार हैं.

पता था खतरा फिर भी…

हालांकि, वैज्ञानिकों ने अमेजॉन में रहने वाले मूल निवासियों के बच्चों के लिए पारे से उत्पन्न होने वाले खतरों के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी थी. रैनी के पिता, रोसील्टन सॉ, अपने पिता रोसेनिल्डो के नक्शेकदम पर चलते हुए, खनिक के तौर पर काम करते हैं. परिवार के एक बेडरूम वाले लकड़ी के घर में बैठे, बुजुर्ग बताते हैं कि उन्हें पता था खनन में जिस पारे का इस्तेमाल किया जाता है वो खतरनाक है. उनके बेटे रोसेनिल्डो सॉ कहते हैं कि हर हफ्ते 30 ग्राम सोना खनन कर निकालने के बाद गुजारे लायक ही कमाई हो पाती है. ये परिवार नियमित रूप से ‘सुरुबिम’ खाता है, जो एक मांसाहारी मछली है और बियोम नदी में पारा जमा करती है.

पिछले कुछ वर्षों में सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस क्षेत्र में दर्जनों अन्य रोगियों के इसी तरह के विकारों से पीड़ित होने की सूचना दी है लेकिन यहां जांच और चिकित्सा देखभाल सुविधाओं की भारी कमी है. जिसकी वजह से सटीक कारणों का पता लगाना मुश्किल हो गया है.

क्या रहे हैं शोधकर्ता?

अब शोधकर्ता 2026 के अंत तक समाप्त होने वाले एक बहु-वर्षीय अध्ययन में, ब्रेन विकृति से लेकर मेमोरी संबंधी समस्याओं तक, पारा विषाक्तता से जुड़ी तंत्रिका संबंधी समस्याओं पर डेटा इकट्टठा कर रहे हैं.

पारे ने नदी की मछलियों को दूषित कर दिया है, जो मूलनिवासी समुदायों का मुख्य भोजन हैं. यह महिलाओं के प्लेसेंटा, स्तनों और बच्चों में खतरनाक स्तर तक जमा हो गया है. इसी इलाके की एक नर्स भी हैं, बताती हैं कि स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देशों के बावजूद, लोग मछली खाना बंद नहीं कर सकते क्योंकि ये लोग अगर नियमों का पालन करेंगे, तो हम भूखे मर जाएंगे.

क्यों सरकार के बस के बाहर हुए हालात?

अगले महीने साई सिन्जा से बहुत दूर, अमेजन में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन, COP30 आयोजित किया जाएगा, जिसमें राजनयिक और विश्व नेता एकत्रित होंगे. ब्राजीलियाई आयोजकों ने इसे ‘वन COP’ नाम दिया है. इसके जरिए ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट और उनके निवासियों के लिए खतरों, जैसे कि पूरे क्षेत्र में अवैध खनन जैसे मुद्दों पर पर वैश्विक शक्तियों का ध्यान आकर्षिक किया जाएगा.ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने 2023 में पदभार ग्रहण करने के बाद से हज़ारों खनिकों को मूल निवासियों की जमीनों से खदेड़ दिया है, लेकिन बचे हुए पारे (Mercury) को विघटित नहीं किया जा सकता क्योंकि ये हवा, पानी और मिट्टी में घुल जाता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ब्राजील सरकार ने मुंडुरुकु मूल निवासियों के क्षेत्र में पारे के स्तर की निगरानी बढ़ा दी है, जन स्वास्थ्य अधिकारियों को पारे की विषाक्तता के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया है और दूरदराज के समुदायों के लिए स्वच्छ जल स्रोतों में निवेश किया है.

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