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टीचर बनना चाहता था आनंदपाल, जेल ने बदल दी कहानी, बन गया जुर्म की दुनिया का बादशाह

हाइलाइट्स

आनंदपाल सिंह का साल 2017 में 24 जून को एनकाउंटर कर दिया गया था.आनंदपाल की कई बार पुलिस के साथ मुठभेड़ हो चुकी थी.

जयपुरः इतिहास के गर्त में जा चुका आनंदपाल का नाम एक बार फिर राजस्थान में गूंजने लगा है. अपराध की दुनिया में अपना साम्राज्य खड़ा करने वाला आनंदपाल भले ही अब इस दुनिया में नहीं है. लेकिन उसके कारनामों के चर्चे आज भी राजस्थान में होते हैं. आनंदपाल का नाम इसलिए फिर से सुर्खियों में है क्योंकि सीबीआई कोर्ट द्वारा आनंदपाल के एनकाउंटर की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दिया गया. साथ ही एनकाउंटर में शामिल 5 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है. कभी सरकारी नौकरी की चाह रखने वाला आनंदपाल कैसे सरकार के लिए चुनौती बन गया, इसकी कहानी काफी दिलचस्प है…

टीचर बनना चाहता था आनंदपाल1997 में आनंदपाल बीएड का शिक्षक बनना चाह रहा था. सरकारी नौकरी की तैयारी के बीच आनंदपाल ने गांव सांवराद में सीमेंट की एजेंसी ली. इस बीच आनंदपाल का झुकाव राजनीति की तरफ हो गया. साल 2000 में लाडनूं पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और पंचामत समिति सदस्य चुना गया. आनंदपाल ने फिर निर्दलीय पंचायत समिति प्रधान का चुनाव लड़ा. उसके खिलाफ लाडनूं के विधायक रहे हरजीराम बुरड़क का बेटा जगन्नाथ बुरड़क चुनाव लड़ रहा था. प्रधान का चुनाव आनंदपाल भले ही दो वोट से हार गया. लेकिन आनंदपाल और उसके समर्थकों को यकीन था कि जालसाजी से चुनाव हराया गया है. इसके चलते बुरड़क और आनंदपाल के समर्थक भिड़ गए.

जाट बनाम राजपूत की लड़ाईउसके बाद आऩदपाल पर बुरड़क ने कई केस दर्ज कराए. आरोप है कि आऩदपाल को पुलिस ने टॉर्चर किया. उसके बाद आनंदपाल ने अपराध की दुनिया में कदम रखा. लेकिन आऩदपाल जुर्म की दुनिया में तब कुख्यात हुआ जब 2006 में  दो छात्र नेता गोपाल फोगावट और जीवन राम गोदारा की हत्या की. फोगावट और गोदारा जाट नेता थे. जबकि आनंदपाल राजपूत था. यह घटना जाट बनाम राजपूत होने से आनंदपाल को राजपूतों का समर्थन मिला.

हत्या का बदला हत्या से लिया जाने लगाजून 2006 में नागौर के डीडवाना के गोदारा मार्केट में आनंदपाल ने छात्र नेता जीवनराम गोदारा की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी. गोदारा की हत्या के विरोध में जाट समुदाय लामबंद हो गया और नागौर में बड़ा प्रदर्शन हुआ. इससे पहले गोदारा ने फौजी मदन सिंह राठौड़ की बेरहमी से हत्या की थी. गोदारा की हत्या कर आनंदपाल ने मदन सिंह की हत्या का बदला ले लिया. आरोप है कि अप्रैल 2006 में आनंदपाल ने बलबीर बानूड़ा के साथ मिलकर एबीवीपी के छात्र नेता गोपाल फोगावट की हत्या की थी.

आनंदपाल Vs राजू ठेहट गैंगबलबीर बानूड़ा के साले विजयपाल की हत्या एसएफआई के छात्र नेता रहे और फोगावट के करीबी राजू ठेहट ने की थी. हत्या के बाद राजू ठेहट फ़ोगावट की शरण में चला गया था. इसके बाद राजस्थान में दो गैंग खड़ी हुई, एक आनंदपाल की अगुवाई वाली आनंद पाल गैंग और दूसरी राजू ठेहट की अगुवाई वाली राजू ठेहट गैंग. एक को राजपूतों का दूसरी को जाटो का समर्थन था. दोनों गैंग शराब तस्करी के गौरखधंधे में थी. इससे राज्य में गैंगवार बढ़ने लगी थी. दोनों गैंग को राजनीतिक संरक्षण भी मिलने लगा था.

Tags: Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 09:43 IST

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