Ancient Karneshwar Mahadev Temple of 738 AD, India’s first Shivpuri Dham with 525 Shivalingas, its story is miraculous. – News18 हिंदी

रिपोर्ट-शक्ति सिंह
कोटा. एजुकेशन सिटी कोटा महाशिवरात्रि पर शिवमय हो गयी है. यहां शिवालयों पर महापर्व की तैयारी अंतिम चरण में है. शिवरात्रि पर आराधना पूजा होगी और शिव बारात निकाली जाएगी. विवाह सम्मेलन, व्रत, पूजन, उपवास कर सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी. इस मौके पर खास है यहां का कर्णेश्वर महादेव कंसुआ धाम मंदिर जो पूरे 13 सौ साल पुराना है.
कर्णेश्वर महादेव कंसुआ धाम मंदिर कोटा संभाग का सबसे प्राचीन शिवालय है. इस शिव मंदिर को पुरातनकाल से ही कंसुआ तीर्थ कहा जाता है. इस प्राचीन शिवमंदिर का निर्माण विक्रम संवत 795 यानि 738 ईस्वी में हुआ था. कोटा के कंसुआ धाम स्थित प्राचीन शिव मंदिर की इसकी स्थापना के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. करीब 1300 साल पूर्व बना यह मंदिर आज भी अपने मूल स्वरूप को बरकरार रखे हुए है. यहां विश्व का एकमात्र स्थापित चतुर्मुखी शिवलिंग स्थापित है.
यहीं हुआ था भरत का जन्म
इस मंदिर की बनावट ऐसी है कि सूरज की पहली किरण मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर गिरती है. मान्यता है द्वापर युग में यहां कण्व ऋषि का आश्रम था. यहां राजा दुष्यंत और शकुंतला का गंधर्व विवाह हुआ था राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला की कोख से प्रतापी राजा भरत का जन्म इसी स्थान पर हुआ था.
525 शिवलिंग
कोटा शहर के थेगड़ा इलाके में स्थित शिवपुरी धाम के संरक्षक नागा साधु सनातन पुरी महाराज हैं. उनके गुरुदेव दिवंगत राणाराम पुरी महाराज ने कठिन योग, तप और साधना के बाद मंदिर में 525 शिवलिंग की स्थापना कराई थी. मंदिर में आज भी 525 शिवलिंग हैं. इन्हें जोड़ने पर 12 आता है. कहते हैं यहां दर्शन और पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को 12 ज्योतिर्लिंग का फल मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : March 6, 2024, 20:23 IST