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…और एक पत्थर बन गईं माता अहिल्या, भगवान श्रीराम के स्पर्श से हुईं मुक्त, बिहार के इस मंदिर में मौजूद हैं पदचिन्ह

Last Updated:April 06, 2025, 06:39 IST

Ramnavmi Special: सारण के सिमरिया गांव में स्थित गौतम स्थान मंदिर में भगवान राम के चरण चिन्ह हैं, जहां उन्होंने माता अहिल्या का उद्धार किया था. इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा है और यह ऐतिहासिक है. आइये जानते हैं…और पढ़ें...और एक पत्थर बन गईं माता अहिल्या, भगवान श्रीराम के स्पर्श से हुईं मुक्त

सारण जिले के सिमरिया गांव में गौतम स्थान मंदिर में भगवान श्रीराम के पद चिन्ह होने की मान्यता है.

हाइलाइट्स

सारण के गौतम स्थान मंदिर में भगवान राम के चरण चिन्ह हैं. माता अहिल्या उद्धार की पौराणिक कथा से संबंधित है मंदिर. मंदिर पौराणिक और ऐतिहासिक है पर सुविधाओं की कमी है.

छपरा. बिहार के सारण जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम के पदचिन्ह मौजूद हैं. यह गौतम स्थान मंदिर छपरा के रिविलगंज प्रखंड के सिमरिया गांव के पास है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने यहां माता अहिल्या का उद्धार किया था जिससे वह पत्थर से मनुष्य रूप में वापस आ गईं थीं. माता अहिल्या के पत्थर बनने की कहानी हिंदू पौराणिक मान्यताओं में है और सनातनी स्त्रियों के लिए अनुकरणीय उदाहरण है, जिसे आज भी महिलाएं अपने जीवन पद्धति में इस उदाहरण से सीख लेती हैं. आइये हम जानते हैं कि माता अहिल्या से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है.

माता अहिल्या एक गौतम ऋषि की पत्नी थीं. वह अत्यधिक सुंदर और पतिव्रता थीं. एक दिन जब गौतम ऋषि नदी में स्नान करने गए थे, तब इंद्र देवता ने माता अहिल्या को देखा और उन्हें छल से अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की. माता अहिल्या ने इंद्र को पहचान लिया और उन्हें समझाया कि वह गौतम ऋषि की पत्नी हैं और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. लेकिन इंद्र ने माता अहिल्या का मन बहकाने की कोशिश जारी रखी. स्नान के बाद जब गौतम ऋषि वापस आए, तो उन्होंने देखा कि अहिल्या और गौतम ऋषि के रूप में इंद्र एक साथ हैं. गौतम ऋषि ने माता अहिल्या को श्राप दिया कि वह पत्थर बन जाएंगी.


भगवान श्री राम के पधारने और उनके स्पर्श तक एक पत्थर के रूप में रहीं माता अहिल्या.

माता अहिल्या ने गौतम ऋषि से क्षमा मांगी और कहा कि वह इंद्र उन्हें बहकाने का प्रयास कर रहे थे और उनकी कोई गलती नहीं थी. गौतम ऋषि ने तब माता अहिल्या को बताया कि वह भगवान राम के चरणों के स्पर्श से ही पत्थर से मुक्त हो पाएंगी. इस तरह, माता अहिल्या पत्थर बन गईं और भगवान श्री राम के पधारने और उनके स्पर्श तक वह पत्थर के रूप में रहीं. जब भगवान राम ने अहिल्या पत्थर का स्पर्श किया तो वह फिर से अपने वास्तविक रूप में आ गईं. माता अहिल्या का मंदिर यहां मौजूद है जहां भगवान राम के चरण चिन्ह को सहेज कर रखा गया है.


सारण जिले के सिमरिया गांव में स्थित यह मंदिर माता अहिल्या उद्धार के लिए पूरे देश में विख्यात है

मंदिर के पुजारी प्रभात दास का कहना है कि यह मंदिर काफी ऐतिहासिक है और माता अहिल्या उद्धार के लिए पूरे देश में विख्यात है. मध्य प्रदेश के देवास से भगवान राम के दर्शन करने पहुंची श्वेता सिंह ने बताया कि वह अपने पूरे परिवार के साथ यहां भगवान राम के दर्शन करने पहुंची हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के साक्षात चरण के यहां मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि इस मंदिर को और विकसित करने की आवश्यकता है क्योंकि इतना ऐतिहासिक मंदिर होने के बावजूद यहां सुविधाएं काफी कम हैं.

First Published :

April 06, 2025, 06:39 IST

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