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Last Updated:May 02, 2025, 16:34 IST
जब कोई पशु मृत पशुओं के अवशेष और हड्डियां चाटता है. इस समय तो उसके शरीर में बोटुलिज्म के बैक्टीरिया (क्लोस्ट्रीडियम बोटुलाइनम) से उत्पादित बोटुलाइनम टॉक्सिन प्रवेश कर जाते हैं, तब पशु को बोटुलिज्म यानी कर्रा रो…और पढ़ेंX
मृत जानवर को चांटता कुत्ता
हाइलाइट्स
जयपुर में पशुओं में बोटुलिज्म के मामले बढ़ रहे हैं.पाईका रोग से ग्रसित पशुओं को बोटुलिज्म हो सकता है.बोटुलिज्म से पशु को लकवा हो सकता है.
जयपुर:- इन दिनों पशुओं में बोटुलिज्म (कर्रा रोग) के मामले बढ़ रहे हैं. पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने बताया कि जो पशु पहले से पाईका रोग से ग्रसित होते हैं, उसे बोटुलिज्म रोग हो सकता है. पाईका रोग का पता तब चलता है, जब वह पशु मृत पशुओं के अवशेष और हड्डियां चाटता है. इस समय तो उसके शरीर में बोटुलिज्म के बैक्टीरिया (क्लोस्ट्रीडियम बोटुलाइनम) से उत्पादित बोटुलाइनम टॉक्सिन प्रवेश कर जाते हैं, तब पशु को बोटुलिज्म यानी कर्रा रोग हो जाता है.
बोटुलिज्म रोग का कारणपशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने लोकल 18 को बताया कि पाईका रोग फॉस्फोरस, सोडियम व अन्य मिनरल की कमी से होता है. इस रोग से ग्रसित पशु अपशिष्ट पदार्थ, मिट्टी, कपड़ा, प्लास्टिक, हड्डियां, चूना पत्थर इत्यादि खाने लगता है, जिससे पशु के शरीर में परजीवी चले जाते हैं. इससे पशु कमजोर व उसका उत्पादन कम हो जाता है.
पाईका से ग्रसित पशु जब मृत पशुओं के अवशेष और हड्डियां इत्यादि चाटता है, तो बोटुलिज्म के बैक्टीरिया (क्लोस्ट्रीडियम बोटुलाइनम) उत्पादित ‘बोटुलाइनम टॉक्सिन’ भी पशु के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ये टॉक्सिन पशु के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं. पाईका से ग्रसित पशु के उपचार के लिए सबसे पहले उसका कृमिनाशन करवाएं. फिर उसको रोजाना मिनरल-मिक्सचर दें और पशु के आहार में नमक शामिल करें.
ये हैं रोग के लक्षणपशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने Local 18 को बताया कि बोटुलिज्म रोग क्लोस्ट्रीडियम बोटुलाइनम जीवाणु से होता है. यह जीवाणु पशुओं की आंत्र में होता है. लेकिन तब कोई टॉक्सिन उत्पन्न नहीं करता. जब पशु बाहर से बोटुलाइनम-टॉक्सिन ग्रहण कर लेता है, तभी ये रोग होता है. इस रोग में पशुओं के पैरों में जकड़न होने लगती है, उसे चलने में परेशानी होती है. जीभ मुंह से बाहर आ जाती है और ज्यादा लार गिरती है. पशु बैठ जाता है और उठ नहीं पाता और पशु को लकवा हो जाता है.
पशु चिकित्सक ने बताया कि पाईका से ग्रसित पशु का तुरंत उपचार करवाएं, ताकि पशु मृत पशुओं के अवशेष और हड्डियां न चाटे. रोग से ग्रसित मृत पशुओं को जलाएं या फिर जमीन में गहरा गड्ढा खोदकर दफनाकर ऊपर चूना डालें. पशु में कर्रा रोग की आशंका होते ही तुरंत लिक्विड एक्टिवेटेड चारकोल पिलाएं.
Location :
Jaipur,Rajasthan
homerajasthan
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