Animal Winter Care : शीतलहर से पशुओं का ऐसे करें बचाव, पशुपालक इन बातों का रखें विशेष ध्यान, नहीं तो झेल जाएंगे!

Last Updated:November 01, 2025, 22:29 IST
Animal Health Tips And Tricks: सर्दियों में पशुपालकों को रामनिवास चौधरी की सलाह अनुसार पशुओं को गर्म आवास, संतुलित आहार, साफ सफाई और धूप देना जरूरी है ताकि दूध उत्पादन और स्वास्थ्य सुरक्षित रहे.
सर्दियों का मौसम शुरू होते ही पशुपालकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है अपने पशुओं को ठंड से सुरक्षित रखना. इस दौरान तेज हवाएं, कोहरा और तापमान में गिरावट पशुओं की सेहत पर सीधा असर डालते हैं. खासकर दूध देने वाले पशुओं का दूध उत्पादन घट जाता है. इसलिए शीतलहर के दिनों में उन्हें ठंड से बचाना, संतुलित आहार देना और गर्म आवास उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है. ठंड के मौसम में लापरवाही करने पर पशु बीमार पड़ सकते हैं और उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है.

पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने बताया कि ठंड से बचाव का पहला कदम है उचित घर की व्यवस्था. पशुओं के बाड़े को सूखा, हवादार और गर्म रखना जरूरी है. रात में दरवाजे-खिड़कियां बंद कर बोरियां या टाट टांग दें ताकि ठंडी हवा अंदर न जाए. इसके अलावा फर्श पर सूखी घास, भूसा या पत्तियां बिछाएं जिससे शरीर को जमीन की ठंडक न लगे. सुबह के समय बाड़े में सूर्य की किरणें आने दें, इससे बाड़ा प्राकृतिक रूप से गर्म रहेगा और कीटाणु भी नष्ट होंगे. वहीं, दिन में बाड़े की सफाई और वेंटिलेशन पर विशेष ध्यान दें.

गर्भवती और दूध देने वाली गाय-भैंसों के लिए सर्दी का समय अधिक परेशान करने वाला होता है. ऐसे में इनको सर्दी से बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम करने चाहिए. इसके लिए इन पशुओं को रात में टाट या मोटी बोरी से ढक दें और जहां संभव हो, हल्का अलाव जलाएं, परंतु यह ध्यान रहे कि धुआं उनके पास न जाए. गर्भवती पशुओं को ठंडी हवा से पूरी तरह बचाना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. दिन में धूप खिलने पर उन्हें बाहर छोड़ें ताकि प्राकृतिक गर्मी मिले. इसके अलावा इनके आहार में प्रोटीन और ताकत देनी वाली सामग्री जैसे खल और दाना जरूर शामिल करें.

इसके अलावा ठंड के मौसम में पशुओं को हमेशा गुनगुना और ताजा पानी ही पिलाएं. ठंडा पानी पीने से वे बीमार पड़ सकते हैं, खासकर छोटे बछड़ों में पेट दर्द और कब्ज की समस्या बढ़ जाती है. इससे बचाव के लिए बछड़ों को अजवाइन का काढ़ा या हल्का भाप देना फायदेमंद होता है. इससे सर्दी-जुकाम, गले की खराश और पाचन संबंधी दिक्कतें दूर रहती हैं. साथ ही, दिन में उन्हें कुछ समय के लिए धूप में बांधें ताकि विटामिन डी की पूर्ति हो सके, जिससे हड्डियां मजबूत बनें और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े.

सर्दियों में पशुओं के आहार में थोड़े बदलाव की जरूरत होती है, क्योंकि इस मौसम में उन्हें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है. पशुओं को संतुलित चारा देना जरूरी है, जिसमें हरा चारा, सूखा भूसा और खली होनी चाहिए. पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने बताया कि दूध देने वाले पशुओं को गुड़, मैथी, बाजरा और थोड़ा सरसों का तेल देने से शरीर में गर्मी बनी रहती है. गर्भवती पशु के लिए सरसों की खल बहुत लाभदायक होती है. साथ ही, इस मौसम में चारे की मात्रा थोड़ी बढ़ा दें ताकि पशुओं को अधिक ऊर्जा मिल सके और ठंड में कमजोरी न आए.

पशु चिकित्सक के अनुसार, पशु आवास में गोबर और मूत्र की निकासी की उचित व्यवस्था रखें, क्योंकि गीली जगहों पर ठंड तेजी से लगती है. बाड़े की सफाई सुबह और शाम दोनों समय करें और नमी कम रखने के लिए सूखी मिट्टी या राख का प्रयोग करें. अगर किसी पशु में सर्दी-जुकाम, खांसी या सांस लेने में परेशानी दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक को बुलाएं. सर्दियों में निमोनिया और बुखार जैसी बीमारियां आम हैं, जिन्हें समय पर इलाज न मिलने पर नुकसान हो सकता है. साफ सफाई और सही आहार पशुओं को इन बीमारियों से बचाने का सबसे कारगर उपाय है.

छोटे बछड़े और बछड़ियों को ठंड से बचाने के लिए टाट या कपड़े की जैकेट जरूर पहनाएं. उन्हें सुबह-शाम हल्की धूप में छोड़ना चाहिए ताकि वे सक्रिय रहें और शरीर में रक्त संचार बना रहे. ठंड के दिनों में बछड़ों के बाल काटना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि लंबे बाल उनके शरीर को प्राकृतिक सुरक्षा देते हैं. इसके अलावा बेहतर वृद्धि के लिए उन्हें थोड़ी खली, गुड़ और तेल मिलाकर खिलाएं. दिन में खुले वातावरण में खेलने देने से उनका शारीरिक विकास होता है. इससे वे बीमार भी नहीं होते हैं.
First Published :
November 01, 2025, 22:28 IST
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