अंता MLA कंवरलाल मीणा की बढ़ी मुश्किलें, कल आर या पार मामला, सरेंडर करें या हो जाएं अरेस्ट!

Last Updated:May 20, 2025, 12:01 IST
झालावाड़-बारां के अंता MLA कंवरलाल मीणा को 3 साल की सजा के मामले में सुप्रीम कोर्ट की 21 मई तक सरेंडर की समय सीमा कल खत्म होने वाली है. 2005 में SDM को धमकाने और सरकारी संपत्ति नुकसान के मामले में ट्रायल कोर्ट …और पढ़ें
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई सरेंडर की समय सीमा 21 मई 2025 को समाप्त हो रही है
झालावाड़-बारां के अंता से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा को 2005 के एक आपराधिक मामले में तीन साल की सजा के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई सरेंडर की समय सीमा 21 मई 2025 को समाप्त हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई 2025 को उनकी विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज करते हुए उन्हें दो सप्ताह के भीतर मनोहरथाना के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने का आदेश दिया था. इस मामले में मीणा पर तत्कालीन उपखंड मजिस्ट्रेट (SDM) रामनिवास मेहता को पिस्तौल से धमकाने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है. सूत्रों के अनुसार, मीणा अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं लेकिन यदि वे कल तक सरेंडर नहीं करते, तो पुलिस को उनकी गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई करने की छूट होगी.
ये रहा पूरा घटनाक्रमयह घटना 3 फरवरी 2005 की है, जब झालावाड़ के मनोहरथाना में खटाखेड़ी उप-सरपंच चुनाव के लिए पुनर्मतदान की मांग को लेकर ग्रामीणों ने दंगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर सड़क जाम कर दी थी. तत्कालीन SDM रामनिवास मेहता, IAS प्रशिक्षु प्रीतम बी. यशवंत और तहसीलदार रामकुमार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर पहुंचे थे. आधे घंटे बाद कंवरलाल मीणा अपने 6-7 सहयोगियों के साथ वहां पहुंचे और कथित तौर पर SDM मेहता के सिर पर पिस्तौल तानकर दो मिनट के भीतर पुनर्मतदान की घोषणा करने की धमकी दी थी. मेहता ने जवाब दिया कि “पिस्तौल मार सकती है लेकिन पुनर्मतदान लागू नहीं कर सकती.” मीणा ने कथित रूप से एक वीडियो कैसेट छीनकर नष्ट कर दिया और प्रीतम की डिजिटल कैमरा 20 मिनट तक अपने कब्जे में रखा. उस समय मीणा के खिलाफ 15 आपराधिक मामले पहले से दर्ज थे और वे विधायक नहीं थे.
कानूनी प्रक्रिया और सजा2018 में मनोहरथाना के ACJM कोर्ट ने सबूतों के अभाव में मीणा को बरी कर दिया था लेकिन दिसंबर 2020 में अकलेरा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय (ADJ) ने इस फैसले को पलटते हुए उन्हें IPC की धारा 353 (सार्वजनिक सेवक को डराने के लिए हमला या आपराधिक बल), 506 (आपराधिक धमकी), और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया। उन्हें तीन साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई. मीणा ने इस फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की जिसे 1 मई 2025 को खारिज कर दिया गया और उन्हें तत्काल सरेंडर करने का निर्देश दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी 7 मई को उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसमें उनके वकील नमित सक्सेना ने तर्क दिया था कि न तो पिस्तौल बरामद हुई और न ही वीडियो कैसेट का कोई सबूत मिला.
विधानसभा सदस्यता पर खतरालोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार, किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर उनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है. कंवरलाल मीणा, जो 2013 में मनोहरथाना और 2023 में अंता से विधायक चुने गए, की सदस्यता अब खतरे में है. विपक्षी नेता टीका राम जूली और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से उनकी सदस्यता तत्काल रद्द करने की मांग की है. जूली ने इसे संवैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन बताते हुए राज्यपाल से भी हस्तक्षेप की मांग की. हालांकि, अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि वे एडवोकेट जनरल और वरिष्ठ वकीलों की राय ले रहे हैं और जल्द ही नियमों के अनुसार फैसला लिया जाएगा.
वर्तमान स्थिति और जांच15 मई 2025 को झालावाड़ की ACJM कोर्ट ने मीणा के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को सात दिनों के लिए वापस लिया था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 21 मई तक सरेंडर करने का समय दिया था. सूत्रों के मुताबिक, मीणा कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं लेकिन यदि वे कल तक सरेंडर नहीं करते, तो मनोहरथाना थाना प्रभारी नंदकिशोर वर्मा ने पुष्टि की है कि पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई करेगी. इस मामले ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है और कांग्रेस ने इसे बीजेपी के खिलाफ राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है.
Sandhya Kumari
न्यूज 18 में बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रही हूं. रीजनल सेक्शन के तहत राज्यों में हो रही उन घटनाओं से आपको रूबरू करवाना मकसद है, जिसे सोशल मीडिया पर पसंद किया जा रहा है. ताकि कोई वायरल कंटेंट आपसे छूट ना जाए.
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