एकता की मिसाल है ये जगह, हिंदू-मुस्लिम एक साथ टेकते हैं माथा, दिन में होती है इबादत और रात को पूजा

नरेश पारीक/चूरू. भारत में कई प्रकार की भाषा बोलने के साथ कई प्रकार के वस्त्र भी पहने जाते हैं. लेकिन इसके बावजूद भी हम सभी एकता के सूत्र में बंधे हुए है.जो कि साम्प्रदायिक सद्भाव की जीती जागती मिशाल है. राजस्थान के चूरू में भी गंगा जमुनी तहजीब को दर्शाती यहां मही पीर की दरगाह और अणमानाथ जी का थान जो हिंदू-मुस्लिम एकता का परिचय दे रही है. जहां उर्ष पर दिन में कव्वाली होती है तो रात को भजन और जागरण की मनमोहक प्रस्तुतियों पर श्रद्धालु झूम उठते है.
दिलचस्प बात तो ये है कि एक ही जगह स्थित दरगाह और थान दोनो की इबादत और पूजा मुस्लिम नही बल्कि एक हिंदू करता है. ये सिलसिला काफी लंबे अरसे से चला आ रहा है और दोनो ही धर्मो में यह स्थल श्रद्धा और इबादत का प्रतीक है. पीर की मजार और बाबा के स्थान की देखरेख व इबादत व पूजा केशरदेव राठी व उनका परिवार करता है.
2001 में हुई थी स्थापना
बता दें कि इस मजार की स्थापना 14 दिसम्बर 2001 को की गई थी. मूलतः दिल्ली निवासी राठी ने बताया कि मही पीर बाबा दिल्ली के निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे.सैकड़ो वर्ष पहले उनके पूर्वज दिल्ली से झुंझुनू जिले के दुड़ाना गांव में आकर रहने लगे.वहां मही पीर की मजार स्थापित की जो आज भी मौजूद है. गांव में अणमानाथ भी रहते थे उनके परिवार की दोनो में आस्था थी. उन्होंने बताया वर्ष 2001 में चूरु में मही पीर की मजार स्थापित की गई और साथ मे बाबा का छोटा मंदिर भी बनाया गया जहां आज दोनो ही धर्मो के लोग बड़ी आस्था से आते है.
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FIRST PUBLISHED : February 11, 2024, 13:17 IST