एंग्जायटी, डिप्रेशन का इलाज भी होता है हेल्थ इंश्योरेंस के तहत, क्या होता है कवर, क्या नहीं- जानें women-and-finance-anxiety-depression-bipolar-disorder-opd-in-health-insurance-benefits-expert-advice

Psychiatrist consultant Fees and Health Insurance: मानसिक रोग अब कोई स्टिगमा की बात नहीं रह गए हैं. अब इस पर बात होती है और लोग इलाज के लिए निकलते हैं. हम जानते हैं कि बदली हुई जीवनशैली, तमाम तनावों, आनुवांशिक व अन्य कारणों से लोग मानसिक रोगों की जद में आते जा रहे हैं. महिलाओं में होने वाले हॉरमोनल परिवर्तन, रिश्तों की पहेलियां, आर्थिक व सामाजिक वजहें और कई बार अन्य कारणों से कई बार एंग्जायटी-डिप्रेशन जैसे रोग उन पर हमला बोल देते हैं. हालांकि यह बात पुरुषों पर भी लागू होती है. हम फिजिकल हेल्थ की केयर पर तो ध्यान देते हैं लेकिन कई बार मानसिक रोगों से जुड़ी आपात स्थिति व जरूरतों को नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आपके हेल्थ कवर में मानसिक हेल्थ कवरेज भी है?
भारत में आप किसी एक अच्छे मनोरोग परामर्श (Psychiatric consultant) को अवेल करती हैं तो इसकी औसत लागत 1500-5000 रुपये है. मान लीजिए कि आप महीने में दो बार मनोचिकित्सक के पास जाती हैं तो इसका खर्च आसानी से 3000 से 10,000 रुपये तक हो जाएगा. इसलिए मेंटल हेल्थ से जुड़े बिलों के भुगतान के लिए एक डीटेल्ड हेल्थ कवर होना बहुत ही जरूरी है. आप जो प्रीमियम भरती हैं वह तमाम रोगों और कंडिशन्स को कवर करता है, ऐसे में मेंटल हेल्थ कवरेज के कारण आपको दिन प्रतिदिन की ओपीडी लागत नहीं लगेगी. पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के बिजनेस हेड (हेल्थ इंश्योरेंस) सिद्धार्थ सिंघल से हमने इस बारे में डीटेल्ड बातचीत की. महिलाओं और पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी ऐसी ही अधिक जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकती हैं.
मेंटल हेल्थ कवरेज में क्या क्या होता है शामिल…
अच्छी बात यह है कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने मानसिक बीमारी को शारीरिक बीमारियों के बराबर मानते हुए इसे स्वास्थ्य बीमा में शामिल करना अनिवार्य कर दिया है. ज्यादातर स्वास्थ्य बीमा योजनाएं आगे भविष्य में हो सकने वाली मानसिक बीमारियों जैसे कि एंग्जायटी, डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर के चलते अस्पताल में भर्ती होने के खर्चे को भी हैंडल करती हैं. इसमें पूरा का पूरा इलाज, डायगनोस्टिक फीस, कमरे की फीस, एम्बुलेंस का खर्च से लेकर दवाइयों का खर्च और बहुत कुछ शामिल होता है. कई हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइडर आउटपेशेंट कवरेज भी प्रदान करते हैं जिसमें रिहैबिलिटेशन, मेडिडेटिव सेशन और परामर्श जैसी लागतें शामिल होती हैं.
हॉस्पिटल में भर्ती न हों तो भी…?
आप जानती ही हैं कि कई बार मानसिक बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि इससे संबंधी बीमारियों को ठीक करने के लिए बार-बार थेरेपी आदि के जरिए इलाज किया जाता है. ऐसे में मेंटल हेल्थ कंस्लटेंसी की ओपीडी कवरेज भी इस इश्योरेंस में शामिल होनी चाहिए. इस बारे में हेल्थ इंश्योरेंस प्रदाता से स्पष्ट बातचीत कर लें और दस्तावेंजों को समझ लें.
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FIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 11:13 IST