Apara Ekadashi 2021: This worship will destroy all sins, know method & muhurt | अपरा एकादशी 2021: इस पूजा से होगा सभी पापों का नाश, जानें विधि और शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व माना गया है, इस दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी को अलग- अलग नामों से जाना जाता है। वहीं ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आने वाली इस तिथि को अपरा एकादशी या अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह एकादशी दो दिन मनाई जा रही है। कई जगह आज यानी 5 और कई जगहों पर 6 जून को रहेगी। हालांकि, विद्वानों का कहना है कि अपरा एकादशी का व्रत-पूजन 6 जून को ही करना चाहिए।
दरअसल, इस बार अपरा एकादशी तिथि 5 जून, शनिवार को सूर्योदय से पहले ही शुरू हो गई है, जो कि अगले दिन रविवार को सूर्योदय के बाद तक रहेगी। ज्योतिषविदों के मुताबिक यदि एकादशी तिथि 2 दिन तक सूर्योदय के समय रहे तो इसका व्रत-पूजन-दान दूसरे दिन करना ही उचित होता है। आइए जानते हैं इस एकादशी की पूजा विधि और मुहूर्त…
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महत्व
इस एकादशी व्रत को पुण्य फल देने वाला बताया गया है। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी के व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके प्रभाव से मनुष्य के कीर्ति, पुण्य और धन में वृद्धि होती है। इस व्रत के पुण्य से ब्रह्म हत्या, असत्य भाषण, झूठा वेद पढ़ने से लगा हुआ पाप आदि नष्ट हो जाता है। पद्म पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से मुनष्य भवसागर तर जाता है।
अपरा एकादशी तिथि
एकादशी तिथि प्रारंभ: 05 जून 2021 शनिवार सुबह 04:07 से
एकादशी तिथि समापन: 06 जून 2021 को सुबह 06:19 तक
पारण का समय: 07 जून 2021 सुबह 05:23 से सुबह 08:10 तक
व्रत विधि
– व्रती को एकादशी के दिन सूर्योदय पूर्व उठना चाहिए।
– नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर पवित्र नदी में स्नान करें या स्नान के जल में गंगाजल मिलाएं।
– इसके बाद पूर्व दिशा की तरफ एक पटरे पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करें।
– इसके बाद दीप जलाएं और कलश स्थापित करें
– भगवान विष्णु, कृष्ण तथा बलराम का धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि से पूजा करें।
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– भगवान विष्णु को फल-फूल, पान, सुपारी, नारियल, लौंग आदि अर्पित करें।
– इस पूरे दिन निर्जल उपवास करना चाहिए।
– यदि संभव ना हो तो पानी तथा एक समय फल आहार ले सकते हैं।
– शाम के समय भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एक गाय के घी का दीपक जलाएं।
– द्वादशी के दिन यानि पारण के दिन भगवान का पुनः पूजन कर कथा का पाठ करना चाहिए।
– कथा पढ़ने के बाद प्रसाद वितरण, ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
– अंत में भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए।