Aravalli Super Exclusive Report : अशोक गहलोत के शासन में अरावली का सीना सरकारी मिलीभगत से किया गया था छलनी

Last Updated:December 24, 2025, 17:15 IST
Rajasthan News : न्यूज18 इंडिया की इंटेलिजेंस रिपोर्ट में अशोक गहलोत शासन में अरावली पर्वतमाला में अलवर क्षेत्र में पुलिस व प्रशासन की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर अवैध खनन का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, अलवर क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन एक संगठित नेटवर्क के तहत चल रहा था. इसमें पुलिस, वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं.
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जयपुर. सुपर एक्सक्लूयसिव के तौर पर सामने आई यह रिपोर्ट राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है. न्यूज18 इंडिया के पास मौजूद एक गोपनीय सरकारी इंटेलिजेंस रिपोर्ट यह बताती है कि किस तरह अशोक गहलोत के शासनकाल में अरावली पर्वतमाला का सीना कथित तौर पर सरकारी मिलीभगत से छलनी किया गया. यह रिपोर्ट वर्ष 2010 की है और इसे 18 अक्टूबर 2010 को तत्कालीन इंटेलिजेंस आईजी ने गृह सचिव को भेजा था. रिपोर्ट में हाईकोर्ट की सख्त रोक के बावजूद अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन जारी रहने का खुलासा किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, अलवर क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन एक संगठित नेटवर्क के तहत चल रहा था. इसमें पुलिस, वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. दस्तावेज में साफ तौर पर कहा गया है कि अदालत के आदेशों को दरकिनार कर अरावली को नुकसान पहुंचाया गया और इसके पीछे सत्ता, प्रशासन और खनन माफिया का गठजोड़ काम कर रहा था.
हाईकोर्ट की रोक के बावजूद धड़ल्ले से अवैध खनन
इंटेलिजेंस रिपोर्ट में उल्लेख है कि उस समय अरावली क्षेत्र में खनन पर हाईकोर्ट की रोक लगी हुई थी. इसके बावजूद अलवर जिले में पुलिस और प्रशासन की कथित मिलीभगत से बड़े पैमाने पर अवैध खनन जारी रहा. रिपोर्ट बताती है कि मेव बाहुल्य इलाकों में यह अवैध खनन एक लाभदायक धंधे में तब्दील हो चुका था. स्थानीय लोग कर्ज लेकर डंपर खरीद रहे थे और पत्थरों के परिवहन से मोटा मुनाफा कमा रहे थे. यह पूरा नेटवर्क इस तरह से संचालित हो रहा था कि कानून और पर्यावरणीय नियम केवल कागजों तक सीमित रह गए थे.
279 खनन पट्टे और वैध के नाम पर अवैध खेलरिपोर्ट में यह भी चौंकाने वाला खुलासा किया गया है कि तत्कालीन गहलोत सरकार के कार्यकाल में अकेले अलवर जिले में अरावली क्षेत्र के भीतर 279 खनन पट्टे आवंटित किए गए. इन पट्टों के जरिए वैध खनन की आड़ में अवैध खनन को बढ़ावा मिला. रिपोर्ट के अनुसार कई खान मालिक अपने रवन्ना बेचकर अवैध खनन का माल सप्लाई करवा रहे थे. यानी जो खान मालिक कागजों में वैध थे, वे भी अवैध खनन के नेटवर्क का हिस्सा बन चुके थे. यह स्थिति प्रशासनिक निगरानी और राजनीतिक इच्छाशक्ति पर गंभीर सवाल खड़े करती है.
हर दिन 1500 डंपर, हर महीने तय रकम
इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक अलवर से रोजाना करीब 1500 डंपर अवैध खनन का पत्थर हरियाणा और दिल्ली तक सप्लाई किया जा रहा था. यह आंकड़ा बताता है कि अवैध खनन किस स्तर पर पहुंच चुका था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस अवैध सप्लाई को सुचारू रूप से चलाने के लिए पुलिस, वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों को हर महीने एक निश्चित राशि दी जा रही थी. यानी पूरा सिस्टम एक तयशुदा हिस्सेदारी के साथ काम कर रहा था.
यह रिपोर्ट न सिर्फ पर्यावरणीय विनाश की कहानी बयान करती है, बल्कि उस दौर की प्रशासनिक और राजनीतिक जवाबदेही पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है. अरावली जैसी प्राचीन पर्वतमाला, जो रेगिस्तान को रोकने की प्राकृतिक दीवार मानी जाती है, उसे कथित तौर पर सत्ता और माफिया की मिलीभगत ने गंभीर नुकसान पहुंचाया. अब जब यह रिपोर्ट सामने आई है, तो यह बहस तेज हो गई है कि उस समय जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई और अरावली को हुए नुकसान की भरपाई कैसे की जाएगी.
About the AuthorAnand Pandey
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
December 24, 2025, 17:00 IST
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Exclusive: गहलोत के शासन में अरावली का सीना सरकारी मिलीभगत से किया गया था छलनी



