Architecture Design: स्थापत्य कला का अनोखा नमूना हैं नागौर का यह मंदिर, बिना बजरी-सीमेंट के केवल पत्थरों से हुआ तैयार

Last Updated:May 03, 2025, 16:38 IST
Architecture Design: नागौर के टांकला गांव में संत किशनदास महाराज का भव्य मंदिर है, जो पत्थरों से बना है और स्थापत्य कला का अनोखा उदाहरण है. इस मंदिर का निर्माण मोती चौहान के भाई बद्रीसिंह ने 20 करोड़ रुपये में …और पढ़ेंX
किसनदास जी महाराज मंदिर
हाइलाइट्स
नागौर के टांकला गांव में संत किशनदास महाराज का भव्य मंदिरबिना सीमेंट और बजरी के पत्थरों से हुआ मंदिर का निर्माणमंदिर की बनावट में जोधपुर के पत्थरों का उपयोग
नागौर. नागौर का टांकला गांव में संत किशनदास महाराज ने तपस्या की थी. यहां पर संत किशनदास ने विक्रम संवंत 1825 में जीवित समाधि ली. इसी स्थान पर संत किशनदास महाराज का भव्य मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर की बनावट स्थापत्य कला का एक अनोखा उदाहरण है. इस मंदिर के निर्माण में सीमेंट और बजरी का प्रयोग नहीं किया गया है बल्कि यह पूरा मंदिर पत्थरों से बना हुआ है.
नागौर में स्थापत्य कला के अनूठे मंदिर व मस्जिदनागौर में स्थापत्य कला के अनूठे मंदिर व मस्जिद और कई भवन देखने को मिलते है. लेकिन टांकला गांव में बना किशनदास महाराज के मंदिर की स्थापत्य कला को देखकर हर कोई आश्चर्य चकित है. क्योंकि यह मंदिर किशनदास की दिव्य चमत्कारी शक्ति के लिए जाना जाता है. खास बात यह है कि पत्थरों से बने इस मंदिर के निर्माण में सीमेंट और बजरी का प्रयोग नहीं किया गया बल्कि पत्थर को पत्थर से जोड़ कर बनाया गया है.
यह है मंदिर की खासियतइस मंदिर का निर्माण जोधपुर के पत्थर का इस्तेमाल हुआ है.मंदिर के निर्माण में पत्थरों के खांचे (पत्थर से पत्थर) कोजोड़कर बनाया गया है. इस मंदिर के डिजाईन की बात करे तो इस मंदिर की डिजाईन हर पिलर और हर दीवार पर अलग-अलग बनी हुई है. इस मंदिर में लगे हुऐ पत्थरों पर अनोखी तरीके से नक्काशी की गई है. मंदिर की दिवारों पर अनेक पक्षी जैसे मोर, कबूतर व चिड़िया और अन्य पक्षियों का चित्रण किया गया है. पक्षियों के अलावा हर प्रकार के फूल, बैल और पत्तियों डिजाईन बनाई गई है.
भक्त ने करवाया मंदिर का निर्माणइस मंदिर का निर्माण किशनदास एक भक्त के द्वारा करवाया गया. दरअसल बोरान्दा के रहने वाले व्यक्ति मोती चौहान को 60 वर्ष की उम्र तक संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ था. ऐसे में मोती द्वारा किशनदास महाराजा की समाधि के यहां पर परिक्रमा देने पर मोती की संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी हुई.जिसके बाद मोती के भाई बद्रीसिंह ने इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया. इस मंदिर के निर्माण में कुल 20 करोड़ रुपये का खर्च आया. इस मंदिर की बनावट के कारण यहां पर देश भर से लोग आते हैं वहीं विदेशों से भी इस मंदिर को देखने के लिए पर्यटक भी आते है. यहां पर अधिकतर पर्यटक इटली, ब्राजील व ब्रिटेन से आते है.
Location :
Nagaur,Nagaur,Rajasthan
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नागौर में स्थापत्य कला के अनूठे मंदिर व मस्जिद, आप भी देखकर रह जाएंगे दंग