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Artificial Titanium Heart: इंसान के सीने में लगा दिया मशीन वाला दिल, 100 दिन तक चलती रहीं धड़कनें, फिर…

Last Updated:March 12, 2025, 14:35 IST

Artificial Titanium Heart: ऑस्ट्रेलिया के 40 वर्षीय व्यक्ति को टाइटेनियम का दिल लगाया गया, जिससे वह 100 दिन से ज्यादा जीवित रहा. सिडनी के सेंट विंसेंट अस्पताल में यह ऑपरेशन हुआ. जानें यह दिल कैसे करता है काम और…और पढ़ेंइंसान के सीने में लगा दिया मशीन वाला दिल, 100 दिन तक चलती रहीं धड़कनें, फिर...

ऑस्ट्रेलिया के 40 वर्षीय व्यक्ति को टाइटेनियम का दिल लगाया गया, जिससे वह 100 दिन से ज्यादा जीवित रहा.

हाइलाइट्स

ऑस्ट्रेलिया में 40 वर्षीय व्यक्ति को टाइटेनियम का दिल लगाया गया.BiVACOR कृत्रिम हृदय 100 दिन तक व्यक्ति को जीवित रख सका.यह कृत्रिम दिल अभी परीक्षण के चरण में है, लेकिन इसने बड़ी उम्मीद जगा दी है.

सोचिये किसी इंसान का सीने चीरकर दिल निकाल लिया जाए और फिर उसकी जगह पर मशीनी दिल लगा दिया जाए. सुनने में किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसी बात लगती है. लेकिन इसे विज्ञान का चमत्कार ही कहेंगे कि सपने जैसी लगने वाली यह बात सच हो गई है. ऑस्ट्रेलिया के एक शख्स को इसी तरह टाइटेनियम का बना दिल लगा दिया गया था. वह शख्स इसी मशीनी दिल के सहारे 100 दिनों तक जिंदा रहा, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

इस व्यक्ति की पहचान गोपनीय रखी गई है. उसकी उम्र 40 वर्ष के आसपास बताई जा रही है. सिडनी के सेंट विंसेंट अस्पताल में नवंबर 2023 में हुए ऑपरेशन के दौरान यह कृत्रिम हृदय प्राप्त करने वाला पहला मरीज बना.

गंभीर हृदय विफलता से जूझ रहे इस मरीज को BiVACOR टोटल आर्टिफिशियल हार्ट नामक एक विशेष प्रकार के बल्ड पंप से जीवित रखा गया, जो टाइटेनियम से बना हुआ है. यह कृत्रिम हृदय उसे तब तक जीवन प्रदान करता रहा जब तक कि पिछले हफ्ते उसे डोनर हृदय प्राप्त नहीं हो गया.

इस मशीनी दिल पर अब भी टेस्टगजसिडनी के सेंट विंसेंट अस्पताल, मोनाश यूनिवर्सिटी और BiVACOR (इस कृत्रिम हृदय को बनाने वाली अमेरिकी-ऑस्ट्रेलियाई कंपनी) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, मरीज की स्थिति स्थिर है और वह तेजी से ठीक हो रहा है.

डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के अनुसार, यह कृत्रिम हृदय हृदय रोगियों के लिए दीर्घकालिक समाधान बन सकता है. हालांकि, यह अभी परीक्षण के चरण में है और आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं है. वहीं सर्जरी करने वाले कार्डियोथोरेसिक और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. पॉल जांस्ज़ ने इसे “गेम-चेंजर” (क्रांतिकारी तकनीक) करार दिया.

कैसे काम करता है यह मशीनी दिल?BiVACOR कृत्रिम हृदय मैग्नेटिक लेविटेशन तकनीक (Magnetic Levitation Technology) का उपयोग करता है, जो हाई-स्पीड ट्रेनों में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक के समान है.

यह शरीर और फेफड़ों में रक्त पंप करने का कार्य करता है, जिससे हृदय के दोनों निलयों (Ventricles) को बदला जा सकता है.

इसमें केवल एक ही चलने वाला भाग होता है – एक घूमने वाला रोटर, जिसे चुंबकों (Magnets) की मदद से संतुलित किया जाता है.

यह टाइटेनियम से बना होता है और इसमें कोई वाल्व या मैकेनिकल बियरिंग नहीं होते, जिससे यह अधिक टिकाऊ और प्रभावी बनता है.

यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए उपयुक्त है और एक व्यायामरत व्यक्ति को पर्याप्त रक्त प्रवाह देने में सक्षम है.

अमेरिका में भी हो चुका है ट्रायलअमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा जुलाई से नवंबर 2023 के बीच अमेरिका में पांच मरीजों पर इस कृत्रिम हृदय का प्रारंभिक परीक्षण किया गया. हालांकि, उन सभी मरीजों को प्रत्यारोपण के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई थी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनिया भर में लगभग 1.8 करोड़ (18 मिलियन) लोग हृदय रोगों के कारण अपनी जान गंवाते हैं. ऐसे में BiVACOR कृत्रिम हृदय भविष्य में लाखों लोगों की जान बचाने में कारगर साबित हो सकता है.


First Published :

March 12, 2025, 14:35 IST

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