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रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज ने अबू धाबी बीएपीएस मंदिर देखा

Last Updated:May 17, 2025, 19:01 IST

अरुण योगीराज ने अबू धाबी के बीएपीएस हिंदू मंदिर का दौरा किया और इसे भारतीय संस्कृति की शान बताया. यह मंदिर पारंपरिक पत्थर का है और यूएई-भारत की दोस्ती का प्रतीक है.रामलला की मूर्ति बनाने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज पहुंचे अबू धाबी.

रामलला की मूर्ति बनाने वाले मशहूर शिल्पकार अरुण योगीराज ने अबू धाबी के बीएपीएस हिंदू मंदिर का दौरा किया.

नई दिल्‍ली. अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की मूर्ति बनाने वाले मशहूर शिल्पकार अरुण योगीराज ने हाल ही में अबू धाबी के बीएपीएस हिंदू मंदिर का दौरा किया. यह यात्रा उनके लिए बहुत खास और आध्यात्मिक रही. मंदिर की सुंदरता और पवित्रता से प्रभावित होकर उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति की शान बताया.

योगीराज ने कहा, “यह मंदिर देखकर मैं बोल नहीं पा रहा. यह सिर्फ मंदिर नहीं, बल्कि भक्ति और कला का अद्भुत संगम है. विदेश में ऐसी शानदार कला और श्रद्धा देखना मेरे लिए गर्व की बात है.” उन्होंने आगे कहा कि यह मंदिर न केवल पूजा का स्थान है, बल्कि शांति और एकता का प्रतीक भी है. यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा.

बीएपीएस मंदिर की खासियतें

अबूधाबी का बीएपीएस हिंदू मंदिर मध्य पूर्व का पहला पारंपरिक पत्थर का मंदिर है. यह सभी धर्मों के सम्मान और वैश्विक मूल्यों को दर्शाता है. इसे भारत के 2000 से ज्यादा कुशल कारीगरों ने बनाया है. मंदिर प्राचीन हिंदू शिल्पकला के अनुसार बना है, बिना स्टील या कंक्रीट के. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार ने इसके लिए जमीन दी, जो भारत और यूएई की दोस्ती का प्रतीक है. मंदिर का निर्माण बीएपीएस संस्था ने परम पूज्य महंत स्वामी महाराज के मार्गदर्शन में किया. मंदिर में सात खूबसूरत देवालय हैं, जो हिंदू शास्त्रों की कहानियों को दर्शाते हैं. मंदिर परिसर में सांस्कृतिक केंद्र, पुस्तकालय, शाकाहारी भोजनालय, सभागार और प्रदर्शनी हॉल भी है.

फरवरी 2024 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के बड़े नेताओं की मौजूदगी में मंदिर का उद्घाटन हुआ. यह मंदिर आज विश्व शांति, सहिष्णुता और संस्कृतियों के बीच एकता का प्रतीक बन गया है. योगीराज ने कहा कि भारतीय मूर्तिकला की परंपरा को जीवित रखना उनका मिशन रहा है. इस मंदिर को देखकर उन्हें बहुत खुशी और गर्व हुआ. उनके लिए यह अनुभव भावुक करने वाला था. एक शिल्पकार के रूप में उन्होंने इस मंदिर की कला और भक्ति की तारीफ की. उनकी यह यात्रा और भावनाएं बीएपीएस मंदिर की महानता को और भी खास बनाती हैं.

यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि भारतीय संस्कृति और कला का गौरवपूर्ण प्रतीक भी है. यह विश्व में भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दे रहा है और लोगों को एकता व शांति का संदेश दे रहा है.

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रामलला की मूर्ति बनाने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज पहुंचे अबू धाबी.

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