रात को बार-बार डर के साथ नींद खुलती है? हो सकती है ये बीमारी, ऐसे रखें ध्यान और रहें दूर!

Last Updated:April 16, 2025, 13:12 IST
PTSD Symptoms: बार-बार बुरे सपने PTSD का संकेत हो सकते हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं. मनोचिकित्सक डॉ. उत्तम गव्हाणे के अनुसार, सही उपचार और काउंसलिंग से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
PTSD के लक्षण
हाइलाइट्स
बार-बार बुरे सपने PTSD का संकेत हो सकते हैं.PTSD के लक्षणों में बार-बार बुरे सपने, ध्यान केंद्रित न कर पाना शामिल हैं.सही उपचार और काउंसलिंग से PTSD को नियंत्रित किया जा सकता है.
कोल्हापुर: रोजमर्रा की भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में अच्छी नींद शरीर और मन के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन बार-बार आने वाले बुरे सपने और अधूरी नींद से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. खासकर बार-बार आने वाले बुरे सपनों से ‘पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर’ (PTSD) नामक मानसिक बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर आपको बार-बार नींद में बुरे सपने आते हैं या आपका ध्यान काम पर नहीं लग पाता, तो ये मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है. इस बारे में अधिक जानकारी मनोचिकित्सक डॉ. उत्तम गव्हाणे (Psychiatrist Dr. Uttam Gavane) ने दी है.
PTSD क्या है?लोकल 18 से बात करते हुए डॉ. गव्हाणे ने कहा कि PTSD एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति के अतीत की आघातजन्य घटनाएं (traumatic events) वर्तमान में सपनों या विचारों के माध्यम से फिर से सामने आती हैं. इससे व्यक्ति के मानसिक स्थिरता पर असर पड़ता है. बचपन में हुई अप्रिय घटनाएं, पारिवारिक तनाव, दुर्घटनाएं या अन्य आघातजन्य घटनाएं इस बीमारी का कारण बन सकती हैं. इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति चिड़चिड़ा, गुस्सैल या बेचैन हो सकता है. छोटी-छोटी बातों पर वह तीव्र प्रतिक्रिया दे सकता है.
PTSD के लक्षणइस बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों में कुछ खास लक्षण दिखाई देते हैं. इनमें बार-बार बुरे सपने आना, एक ही घटना का बार-बार याद आना, नींद से अचानक डरकर जागना, स्मरणशक्ति (memory power) कमजोर होना, ध्यान केंद्रित न कर पाना और अचानक गुस्सा आना शामिल है. इसके अलावा, अतिसावधानी से सोना, लगातार डर महसूस करना, मांसपेशियों में बिना कारण दर्द होना, अत्यधिक शर्मीला या भावुक होना भी इसके लक्षण हो सकते हैं. कुछ लोग आघात से संबंधित चीजों को नजरअंदाज करते हैं, जबकि कुछ को लगातार चिंता होती है.
मनोचिकित्सक की सलाह लेना महत्वपूर्णPTSD का इलाज संभव है और सही मार्गदर्शन से व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है. डॉ. गव्हाणे ने बताया कि इस बीमारी के इलाज के लिए मनोचिकित्सक की सलाह लेना महत्वपूर्ण है. काउंसलिंग के माध्यम से मरीज को उसकी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. ‘मूड एलिवेटर’ और ‘कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरपी’ (CBT) का उपयोग किया जाता है. इसमें मरीज को उसके अतीत की आघातजन्य घटनाओं के बारे में बात करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे उसके विचारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है. हिप्नोटाइजेशन के माध्यम से समस्या की जड़ का पता लगाकर उसका इलाज किया जाता है.
इसके अलावा, मरीज को उसकी पसंदीदा काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इससे सकारात्मक विचार बढ़ते हैं और मानसिक तनाव कम होता है. नियमित व्यायाम, ध्यान और प्रकृति से संपर्क भी उपचार में शामिल होते हैं. कुछ गंभीर मामलों में दवाओं की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन इसके लिए विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है.
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सावधानी और जागरूकता की जरूरतबुरे सपनों को नजरअंदाज न करें और समय पर मनोचिकित्सक की सलाह लें. मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है. खासकर बच्चों में होने वाले बदलावों पर माता-पिता को ध्यान देना चाहिए, ताकि भविष्य में उन्हें PTSD जैसी बीमारियों का सामना न करना पड़े. अगर आपको या आपके किसी करीबी को PTSD के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत नजदीकी मनोचिकित्सक से संपर्क करें. मानसिक स्वास्थ्य जीवन का अभिन्न हिस्सा है, इसलिए इसे नजरअंदाज न करें.
First Published :
April 16, 2025, 13:12 IST
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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.