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Success Story: ब्रेकअप के बाद गईं कोटा, कोचिंग में दूर हुआ डिप्रेशन, क्रैक कर लिया JEE, पहुंच गईं IIT

नई दिल्ली (JEE Success Story). बीते कुछ महीनों से देशभर में कोटा के माहौल की चर्चा हो रही है. जेईई व नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे कई बच्चों ने पढ़ाई के प्रेशर व अन्य कारणों से वहां सुसाइड कर लिया है. इसी बीच कोटा जेईई कोचिंग से तैयारी कर आईआईटी रुड़की में एडमिशन हासिल कर चुकी एक बच्ची स्नेहा दास की मोटिवेशनल स्टोरी काफी वायरल हो रही है (Motivational Story).

स्नेहा दास के पिता फोटोग्राफर हैं. उनकी कमाई से बमुश्किल घर खर्च निकल पाता था. उनके परिवार का माहौल अच्छा नहीं था. वह बचपन से ही फोबिया का शिकार थीं. उसकी वजह से उन्हें घर से निकलने में डर लगता था. लेकिन इन सब परेशानियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और कोलकाता से निकलकर देश की कोचिंग फैक्ट्री यानी कोटा तक पहुंच गईं (Kota Coaching). पढ़िए उनका पूरा सफर.

कोरोना के बीच में पास की बोर्ड परीक्षा
स्नेहा दास ने 2021 में 12वीं बोर्ड परीक्षा पास की थी. यह वही साल था, जब कोविड 19 के चलते देशभर के लगभग हर बोर्ड में एग्जाम कैंसिल कर बच्चों को पास कर दिया गया था. स्नेहा को बचपन से ही समझाया गया था कि अच्छी जिंदगी चाहिए है तो सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करो. उस समय स्नेहा पारिवारिक समस्याओं के साथ ही मेंटल हेल्थ कंडीशन से भी जूझ रही थीं.

11वीं के बाद बंद किया घर से निकलना
11वीं पास करने के बाद स्नेहा को घर से निकलने में डर लगने लगा था. उनकी मां हाउसवाइफ थीं. स्नेहा को लगता था कि अगर वह घर से बाहर गईं तो उनकी मां को कुछ हो जाएगा. फिर उनकी मां ने उन्हें बहुत समझाया और उन्होंने अपने डर पर काबू कर स्कूल जाना शुरू किया. वहां उनकी दोस्ती एक लड़के से हुई, जो प्यार में बदल गई.

ब्रेकअप के बाद छाई मायूसी
स्नेहा डेढ़ साल तक उस लड़के के साथ रिश्ते में रहीं. वह उसे अच्छी तरह से समझता था और पढ़ने के लिए प्रेरित करता था. फिर उस लड़के ने नीट परीक्षा की तैयारी करने के लिए कोटा जाने का फैसला किया. जब स्नेहा ने साथ चलने के लिए कहा तो उसने यह कहकर मना कर दिया कि उन्हें डिस्ट्रैक्शन से बचने के लिए कोलकाता में ही पढ़ाई करनी चाहिए.

नानी ने दिया रिटायरमेंट फंड का पैसा
इस ब्रेकअप के बाद स्नेहा दास डिप्रेशन में चली गई थीं. वह घंटों बेड पर लेटकर पंखा देखती रहती थीं. फिर उनकी मां ने उन्हें मूव ऑन करने के लिए प्रेरित किया और कोटा में जेईई कोचिंग जॉइन करने की सलाह दी (JEE Coaching). लेकिन उनके माता-पिता के पास फीस भरने के पैसे नहीं थे. तब उनकी नानी ने अपने रिटायरमेंट फंड के सारे पैसे उनकी पढ़ाई में लगा दिए.

कोटा में बदली जिंदगी
कोटा जाने से पहले स्नेहा को बायपोलर डिसॉर्डर डायग्नॉज हो चुका था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. कोटा में उन्होंने अपने डर पर विजय पाई और कोचिंग के शिक्षकों की मदद से जेईई परीक्षा पास कर ली. फिलहाल वह आईआईटी रुड़की में पढ़ाई करने के साथ युवाओं को अपनी मोटिवेशनल स्टोरी से प्रेरित कर रही हैं. स्नेहा मानती हैं कि कोटा की कोचिंग ने डिप्रेशन से बाहर आने में उनकी खास मदद की है.

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Tags: JEE Exam, Kota Coaching, Motivational Story, Success Story

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