Health

आयुर्वेद का खजाना है ये काली लकड़ी, कूट-कूट कर भरे हैं इसमें औषधीय गुण, किडनी रखे हेल्दी, पेशाब की समस्या में रामबाण

Last Updated:February 11, 2025, 08:58 IST

Pippali Benefits: कोविड-19 के दौरान आयुर्वेदिक औषधियों में पिप्पली को इम्यूनिटी बूस्टर माना गया. पिप्पली कैंसर, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सूजन आदि समस्याओं में फायदेमंद है. हालांकि, इसका सेवन विशेषज्ञ की सलाह से ही …और पढ़ेंआयुर्वेद का खजाना है ये काली लकड़ी, कूट-कूट कर भरे हैं इसमें औषधीय गुण

पिप्पली इम्यूनिटी बूस्टर की तरह काम करती है.

हाइलाइट्स

पिप्पली इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में मानी जाती है.पिप्पली कैंसर, अस्थमा, और ब्रोंकाइटिस में फायदेमंद है.पिप्पली का सेवन विशेषज्ञ की सलाह से करें.

Pippali Benefits: कोविड-19 से जब लोग डरे हुए थे, तब लोग तरह-तरह के उपचार आजमा रहे थे. आयुर्वेद में मौजूद कई तरह की जड़ी-बूटियों का सेवन करके लोग खुद की इम्यूनिटी बूस्ट कर रहे थे, ताकि इस खतरनाक कोरोनावायरस से खुद को बचा सकें. आयुर्वेदिक डॉक्टर तरह-तरह के उपचार में लगे हुए थे. तब आयुष मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर एक अध्ययन किया था. इस क्लीनिकल रिसर्च स्टडी में आयुर्वेदिक औषधियों के जरिए उपचार को तवज्जो दी गई थी. इनमें चार औषधियों को रिसर्च के काबिल माना गया और इन्हीं में से एक थी पिप्पली. चलिए जानते हैं पिप्पली के फायदों के बारे में.

पिप्पली के फायदे (Pippali ke fayde)-इस स्टडी में पिप्पली, अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडुची को मुख्य रूप से शामिल किया गया था. पिप्पली की बात करें तो ये एक बेहद ही फायदेमंद हर्ब है. पिप्पली कोई आम मसाला नहीं, बल्कि यह आयुर्वेद का खजाना है. इसमें कूट-कूट करके औषधीय गुण भरे हुए हैं.

-पिप्पली स्किन से संबंधित कई समस्याओं को दूर करती है. हालांकि, इसका सेवन बिना एक्सपर्ट से सलाह लिए नहीं करना चाहिए. पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में हुए एक शोध में कहा गया है कि भारत में पाई जाने वाली पिप्पली में पाइपरलोंगुमाइन नामक एक केमिकल कंपाउंड होता है. ये कम्पाउंड कैंसर की कोशिकाओं को मारने में मदद करता है.

– पाइपरलोंगुमाइन कई तरह के ट्यूमर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है. इसमें ब्रेन ट्यूमर भी शामिल है. शोध में कहा गया है कि पिप्पली ब्रेन कैंसर के सबसे खतरनाक रूप ग्लाओब्लासटोमा पर भी असरदार है.

-पिप्पली के फल और जड़ों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसके जड़ों और तने के मोटे हिस्से को काटकर सुखाया जाता है. इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होती है. एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर पिप्पली सूजन कम करने में कारगर है. इसे इम्यूनिटी बूस्टर भी कहा जाता है.

-पाचन तंत्र से लेकर श्वसन तंत्र तक को नियंत्रण में रखती है. इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे सर्दियों में सेवन करने से शरीर गर्म रहता है. हालांकि, प्रेग्नेंसी में इसका सेवन करने से बचना चाहिए.

-आयुर्वेद के मुताबिक, पिपली अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्या में भी कारगर साबित हो सकती है. जिन लोगों को कफ और बलगम की समस्या रहती है, उन्हें भी इसका सेवन करना चाहिए. एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण ये दर्द निवारक के तौर पर काम करती है. ज्वाइंट में होने वाले दर्द, सूजन कम कर सकती है.

-सुश्रुत संहिता में इसे दहन उपकर्ण के तौर पर जाना जाता है यानी ये एक ऐसी औषधि है जो त्वचा संबंधी तकलीफों को कम करने में मदद करता है. ये खून को साफ करता है, जिससे कील मुहांसों, खुजली की समस्या कम होती है.

– पिप्पली मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है, इसलिए वजन भी कम कर सकता है. ऐसे में आप इसका सेवन किसी एक्सपर्ट से सलाह लेकर कर सकते हैं.

– किडनी को हेल्दी रखता है. यूरिन डिसऑर्डर दूर करता है. इसके चूर्ण का इस्तेमाल आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर करना चाहिए. इसे शहद या गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है. खांसी-जुकाम में कई बार चूर्ण फांकने में कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है. ऐसे में पिपरामूल को उबालकर पीने से लाभ होता है. साथ ही कैप्सूल और टैबलेट का भी सेवन किया जा सकता है.

इनपुट-आईएएनएस


First Published :

February 11, 2025, 08:58 IST

homelifestyle

आयुर्वेद का खजाना है ये काली लकड़ी, कूट-कूट कर भरे हैं इसमें औषधीय गुण

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj