Rajasthan

Bach Baras 2023: गोवत्स द्वादशी में माताएं नहीं खाती चाकू से कटा हुआ भोजन, जानें मान्यताएं

निशा राठौड़, उदयपुर. भारत में विभिन्न तरीके के व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. बच्चों के लिए भी माताएं कई तरह की व्रत करती हैं. बच्चों की लंबी उम्र के लिए भी एक खास व्रत है. इसमें माताएं ना ही चाकू का कटा हुआ खाती है और ना ही गेहूं को अपने भोजन में शामिल करती है. दरअसल यह व्रत वत्स द्वादशी गौमाता और उनके कुल के सम्मान में सुहागिनों द्वारा मनाया जाता है. माना जाता है कि वत्स द्वादशी या बछबारस का व्रत रखने से संतान के जीवन मे सुख-समृद्धि आती है.

बच्चों की लंबी उम्र के लिए किया जाता है यह व्रत
उदयपुर शहर में भी गोवत्स द्वादशी का पर्व के मौके पर माताओं ने गाय की पूजा की. महिलाएं इस दिन खासतौर पर पीले वस्त्र धारण करती है और अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से बच्चों पर आने वाला संकट दूर होता है. इसके पीछे की कहानी यह भी है कि गौ हत्या के दोष निवारण के लिए इस व्रत को किया जाता है. वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है.

क्या है इसके पीछे का कारण
पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार एक सास-बहू ने गौ हत्या के निवारण के कारण इस व्रत को शुरू किया था. इसके बाद यह व्रत परंपरा बन गई. अपनी भूल को सुधारने के लिए इस व्रत की शुरुआत की गई थी. इस दिन खासतौर पर गाय और उसके बछड़े की पूजा की जाती है. इससे बेटे पर आने वाले खतरों को दूर किया जा सकता है.

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FIRST PUBLISHED : September 11, 2023, 15:30 IST

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