bam wali mata ka mandir where pak army dropped 3000 bombs not exploded tanot mata mandir bomb story : पाकिस्तान बॉर्डर पर बम वाली माता का मंदिर, जहां दागे 3000 गोले, लेकिन नहीं हुआ बाल भी बांका, चमत्कार देखने खुद आया दुश्मन!

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते और तल्ख हो गए हैं. पाकिस्तान को डर है कि भारत उस पर हमला कर सकता है. इस वजह से दोनों तरफ बॉर्डर पर सुरक्षाबल मुस्तैद हैं. जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक मुस्तैदी है. राजस्थान का जैसलमेर भी पाकिस्तान बॉर्डर से लगा है, जहां पर 1965 और 1971 की जंग लड़ी गई. 1965 के लोंगेवाला युद्ध के समय पाक सेना ने जैसलमेर सीमा पर एक मंदिर के पास 3000 से अधिक गोले दागे, लेकिन मातारानी का ऐसा चमत्कार हुआ कि एक भी बम नहीं फटा, किसी का बाल भी बांका नहीं हुआ. युद्ध के बाद खुद पाकिस्तान सेना का ब्रिगेडियर मातरानी के दर्शन करने आया था. तब से इस मंदिर के चमत्कार की कहानी प्रसिद्ध हो गई और इस मंदिर को बम वाली माता, फौजियों की माता, युद्ध वाली देवी के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर तनोट माता का है. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े चमत्कार के बारे में.
दुश्मन ने दागे 3000 बम, तो माता ने दिखाया चमत्कारजैसलमेर टूरिज्म की बेवसाइट के अनुसार, लोक मान्यता है कि 1965 के युद्ध में पाक सेना ने तनोट माता मंदिर पर 3000 से अधिक बम गिराए, लेकिन तनोट माता के चमत्कार से एक भी बम नहीं फटा. यहां के आसपास के लोगों का बाल भी बांका नहीं हुआ. माता रानी ने अपनी शक्ति से इस क्षेत्र की रक्षा की.
माता के चमत्कार को देखने पहुंचा दुश्मन ब्रिगेडियरजब यह बात पाकिस्तानी सेना को पता चली तो उसका ब्रिगेडियर भी तनोट माता के चमत्कार को देखने चला आया. पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान तनोट माता के मंदिर में आया और उसने देवी माता को चांदी का छत्र चढ़ाया था. 1965 का युद्ध हो या फिर 1971 का, दोनों बार तनोट माता ने अपने भक्तों की रक्षा की.
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आज भी मंदिर में रखे हैं बमतनोट माता के मंदिर में आज भी वे बम रखे हुए हैं, जो युद्ध के समय फटे नहीं थे. देश और दुनिया भर से लोग माता के दर्शन करने के साथ इन बमों को देखने के लिए आते है. तनोट माता के चमत्कार के कारण उनको बम वाली देवी, युद्ध वाली देवी के नाम से जानते हैं. उस युद्ध में तनोट माता ने भारतीय जवानों की रक्षा की थी, जिससे इनको फौजियों की माता भी कहते हैं.
रुमाल वाली देवी भी हैं तनोट मातातनोट माता को रुमाल वाली देवी भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर जो भी भक्त आते हैं, वे अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए एक रुमाल बांध देते हैं. जब आप दर्शन करने जाएंगे तो वहां पर काफी संख्या में रुमाल बंधे हुए देख सकते हैं.
बीएसएफ करती है तनोट माता की सेवातनोट माता मंदिर के देखरेख का जिम्मा बीएसएफ के हाथों में है. बीएसएफ के जवान ही तनोट माता मंदिर की साफ-सफाई, पूजा-पाठ, भजन, आरती, भंडारा आदि का सारा काम करते हैं.
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कौन हैं तनोट माता?तनोट माता को हिंगलाज माता का अवतार कहा जाता है. हिंगलाज माता का शक्तिपीठ पाकिस्तान में बलूचिस्तान के हिंगोल नदी के किनारे है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पर माता सती के सिर का पिछला हिस्सा गिरा था.
तनोट माता मंदिर का इतिहासतनोट माता का मंदिर जैसलमेर जिले के तनोट गांव में है, जिसे संवत 828 में राजा तणुराव ने बनवाया था. इस मंदिर को तनोट राय मातेश्वरी के नाम से भी जानते हैं. कहा जाता है कि मामडिया चारण की पुत्री आवड़ देवी जी की तनोट माता के रूप में पूजा होती थी.